Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Nov 2016 · 1 min read

तुम और पक्षी

तुम्हें अच्छी नहीं लगती,
पक्षियों की स्वच्छंद उड़ान,
क्योंकि-तुम
उड़ ही नहीं सकते।
तुम्हें भाता नहीं है,
पक्षियों का निडर
होकर चहकना ।
क्योंकि-तुम
जहाँ गंभीर हो,
वहाँ महज़ दिखावा है ।
तुम्हें पसंद नहीं आता,
पक्षियों का कतारवद्ध
अनुशासन ।क्योंकि-
तुम जहाँ पर
सख्त़ हो,वहाँ
साम्राज्य है तुम्हारे ही
अड़ियल स्वभाव का।
तुम बदलो या
न बदलो।
पक्षी उड़ान भरते रहेंगे।
वे चहकते भी रहेंगे।
वे अनुशासित भी रहेंगे ।
क्योंकि-वे अच्छी तरह
से जानते हैं कि-
मेहनत कभी
बेकार नहीं जाती।

Language: Hindi
2 Likes · 6 Comments · 1376 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मां कात्यायनी
मां कात्यायनी
Mukesh Kumar Sonkar
मानव पहले जान ले,तू जीवन  का सार
मानव पहले जान ले,तू जीवन का सार
Dr Archana Gupta
कन्या
कन्या
Bodhisatva kastooriya
आपका समाज जितना ज्यादा होगा!
आपका समाज जितना ज्यादा होगा!
Suraj kushwaha
वक्त के रूप में हम बदल जायेंगे...,
वक्त के रूप में हम बदल जायेंगे...,
कवि दीपक बवेजा
जिसमें हर सांस
जिसमें हर सांस
Dr fauzia Naseem shad
कुंती कान्हा से कहा,
कुंती कान्हा से कहा,
Satish Srijan
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
"थामता है मिरी उंगली मेरा माज़ी जब भी।
*Author प्रणय प्रभात*
मैं अपने सारे फ्रेंड्स सर्कल से कहना चाहूँगी...,
मैं अपने सारे फ्रेंड्स सर्कल से कहना चाहूँगी...,
Priya princess panwar
भूल गए हम वो दिन , खुशियाँ साथ मानते थे !
भूल गए हम वो दिन , खुशियाँ साथ मानते थे !
DrLakshman Jha Parimal
Don't lose a guy that asks for nothing but loyalty, honesty,
Don't lose a guy that asks for nothing but loyalty, honesty,
पूर्वार्थ
💐प्रेम कौतुक-458💐
💐प्रेम कौतुक-458💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
देव उठनी
देव उठनी
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
ऋतुराज वसंत (कुंडलिया)*
ऋतुराज वसंत (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
"दो नावों पर"
Dr. Kishan tandon kranti
ममतामयी मां
ममतामयी मां
SATPAL CHAUHAN
उनकी नाराज़गी से हमें बहुत दुःख हुआ
उनकी नाराज़गी से हमें बहुत दुःख हुआ
Govind Kumar Pandey
23/139.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/139.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अरमान
अरमान
Neeraj Agarwal
भोर सुहानी हो गई, खिले जा रहे फूल।
भोर सुहानी हो गई, खिले जा रहे फूल।
surenderpal vaidya
भाईदूज
भाईदूज
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
एक उजली सी सांझ वो ढलती हुई
एक उजली सी सांझ वो ढलती हुई
नूरफातिमा खातून नूरी
ये जनाब नफरतों के शहर में,
ये जनाब नफरतों के शहर में,
ओनिका सेतिया 'अनु '
*कमबख़्त इश्क़*
*कमबख़्त इश्क़*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
मौन में भी शोर है।
मौन में भी शोर है।
लक्ष्मी सिंह
पतंग
पतंग
अलका 'भारती'
राग दरबारी
राग दरबारी
Shekhar Chandra Mitra
आप की डिग्री सिर्फ एक कागज का टुकड़ा है जनाब
आप की डिग्री सिर्फ एक कागज का टुकड़ा है जनाब
शेखर सिंह
तुम हकीकत में वहीं हो जैसी तुम्हारी सोच है।
तुम हकीकत में वहीं हो जैसी तुम्हारी सोच है।
Rj Anand Prajapati
Loading...