तुम्हें रीझाने आएंगे
वक़्त आएगा ख़ुशी के खज़ाने आएंगे।
एकदिन रूठे भी हमें मनाने आएंगे।।
मुँह फेर लेते हैं हमें देखकर जो लोग।
चौखट पर हमारी हाज़िरी लगाने आएंगे।।
दिल जल रहा है रेगिस्तान-सा तो क्या।
कभी प्यार की बारिश के ज़माने आएंगे।।
रिश्ते निभाने हैं तो झुकना भी सीख ले।
मिलजुल रहने में ही दिन सुहाने आएंगे।।
जीना ही है तो हँसकर जी ले मेरे,दोस्त!
दिल ख़ुश होगा तो प्यार के तराने आएंगे।।
कायर नहीं बहादुर बनने का दम भरना।
वरना हरबात पर बहाने ही बनाने आएंगे।।
कभी मुस्क़रा प्यार का क़दम बढ़ाना तुम|
हम देखना मुस्क़राकर हाथ मिलाने आएंगे।।
वफ़ा देना दगा न देना प्यार में किसी को।
हर जुबां पर तुम्हारे ही अफ़साने आएंगे।।
आदमी के सद्कर्मों की ही पूजा होती है।
बुराई के तो हर ओर से उलहाने आएंगे।।
“प्रीतम”तुझ पर दिल सौ-जान से कुर्बान है।
तू जहाँ भी रहेगा हम तुम्हें रीझाने आएंगे।।
राधेयश्याम बंगालिया प्रीतम
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