Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Aug 2016 · 1 min read

तुम्हारी बेटियां है …

हमें भी खिलखिलाने दो ज़रा सा मुस्कुराने दो.
तुम्हारी बेटियां है हम हमें धरती पे आने दो.

बहुत मासूम हैं ये बच्चियां पढने पढ़ाने दो.
नई फसलें विचारों की दमागों को उगाने दो.

गिराकर मैं की दीवारें मिटा दो भेद की दुनिया,
मुहब्बत जीतने निकलो तो खुद को हार जाने दो.

इन्हें मर्दों के कन्धों से जरा कन्धा मिलाने दो.
नहीं हैं कम ज़माने से ज़माने को दिखाने दो.

तमन्ना है हरे पेड़ों के मौसम सब्ज़ हो जाएँ,
ज़रा ये तितलियां महकें ये पत्ते चहचहाने दो.

हम अपने मन की सुनते और बेपरवाह रहते हैं,
उठाता है कोई हम पर अगर ऊँगली, उठाने दो.
…सुदेश कुमार मेहर.

1 Comment · 373 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
दोहे-
दोहे-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
तू बस झूम…
तू बस झूम…
Rekha Drolia
हरि हृदय को हरा करें,
हरि हृदय को हरा करें,
sushil sarna
*मेरे मम्मी पापा*
*मेरे मम्मी पापा*
Dushyant Kumar
आज भी अधूरा है
आज भी अधूरा है
Pratibha Pandey
नर नारी
नर नारी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
फूल
फूल
Neeraj Agarwal
'सवालात' ग़ज़ल
'सवालात' ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
सायलेंट किलर
सायलेंट किलर
Dr MusafiR BaithA
एक और इंकलाब
एक और इंकलाब
Shekhar Chandra Mitra
मैं गलत नहीं हूँ
मैं गलत नहीं हूँ
Dr. Man Mohan Krishna
-- मुंह पर टीका करना --
-- मुंह पर टीका करना --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
व्यंग्य कविता-
व्यंग्य कविता- "गणतंत्र समारोह।" आनंद शर्मा
Anand Sharma
बस्ती जलते हाथ में खंजर देखा है,
बस्ती जलते हाथ में खंजर देखा है,
ज़ैद बलियावी
*हमेशा जिंदगी की एक, सी कब चाल होती है (हिंदी गजल)*
*हमेशा जिंदगी की एक, सी कब चाल होती है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
रंजीत कुमार शुक्ल
रंजीत कुमार शुक्ल
Ranjeet kumar Shukla
शुभ रात्रि मित्रों
शुभ रात्रि मित्रों
आर.एस. 'प्रीतम'
जब आपके आस पास सच बोलने वाले न बचे हों, तो समझिए आस पास जो भ
जब आपके आस पास सच बोलने वाले न बचे हों, तो समझिए आस पास जो भ
Sanjay ' शून्य'
अगर.... किसीसे ..... असीम प्रेम करो तो इतना कर लेना की तुम्ह
अगर.... किसीसे ..... असीम प्रेम करो तो इतना कर लेना की तुम्ह
पूर्वार्थ
बेटियों ने
बेटियों ने
ruby kumari
बिन सूरज महानगर
बिन सूरज महानगर
Lalit Singh thakur
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
मानव जीवन में जरूरी नहीं
मानव जीवन में जरूरी नहीं
Dr.Rashmi Mishra
शहनाइयों में
शहनाइयों में
Dr. Sunita Singh
प्रेम
प्रेम
Ranjana Verma
गाथा हिन्दी की
गाथा हिन्दी की
Tarun Singh Pawar
माना   कि  बल   बहुत  है
माना कि बल बहुत है
Paras Nath Jha
जहां हिमालय पर्वत है
जहां हिमालय पर्वत है
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
#लघु_व्यंग्य-
#लघु_व्यंग्य-
*Author प्रणय प्रभात*
फूल
फूल
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
Loading...