??तुझे याद करते-करते??
आँखों का समन्दर बह गया तेरी राह तकते-तकते।
तेरे दीद को तरसी हैं आँखें,हाय! आह भरते-भरते।।
देखते-देखते चाँद को सारी रात गुज़र गई।
आँखों में न आई नींद तुझे याद करते-करते।।
हमने कब चाहा था किसी से प्यार हो जाए।
आँखें चार हो गई यूँ ही सरेराह चलते-चलते।।
प्रिय तेरी राहों में पलकें बिछाए बैठे सब्र में।
वक्त मिले तो दीदार देना कभी गुज़रते-गुज़रते।।
चाहत कभी जवां होगी,प्यार की इम्तहां होगी।
आएगी सुबह हसीं ज़िन्दगी में रात ढ़लते-ढ़लते।।
“प्रीतम”तेरी प्रीत ख़ातिर रीत ज़माने की तोड़।
चली हूँ तुझे रीझाने उलहानों में जलते-जलते।।