Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Apr 2017 · 1 min read

तरुण वह जो भाल पर लिख दे विजय।

तरुण वह जो भाल पर लिख दे विजय ।
शरम से आँखें झुकाता है प्रलय ।
जाग ! सद्नायक बने औ बना दे।
राष्ट्र-तम पर अरुण-आभा का निलय।
——————————————–

बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “क्रौंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता

वर्ष 2013 में प्रकाशित मेरी(बृजेश कुमार नायक की) कृति “जागा हिंदुस्तान चाहिए” का मुक्तक
Brijesh Nayak
15-04-2017

●जागा हिंदुस्तान चाहिए काव्य संग्रह का द्वितीय संस्करण अमेजोन और फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध है।

Language: Hindi
4 Likes · 813 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Pt. Brajesh Kumar Nayak
View all
You may also like:
मेरी दुनिया उजाड़ कर मुझसे वो दूर जाने लगा
मेरी दुनिया उजाड़ कर मुझसे वो दूर जाने लगा
कृष्णकांत गुर्जर
तारिक़ फ़तह सदा रहे, सच के लंबरदार
तारिक़ फ़तह सदा रहे, सच के लंबरदार
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
मनमीत
मनमीत
लक्ष्मी सिंह
परिवार के लिए
परिवार के लिए
Dr. Pradeep Kumar Sharma
#निर्विवाद...
#निर्विवाद...
*Author प्रणय प्रभात*
तेरे हम है
तेरे हम है
Dinesh Kumar Gangwar
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
पुरुष की अभिलाषा स्त्री से
पुरुष की अभिलाषा स्त्री से
Anju ( Ojhal )
वक्त के शतरंज का प्यादा है आदमी
वक्त के शतरंज का प्यादा है आदमी
सिद्धार्थ गोरखपुरी
कहना नहीं तुम यह बात कल
कहना नहीं तुम यह बात कल
gurudeenverma198
When the destination,
When the destination,
Dhriti Mishra
चार यार
चार यार
Bodhisatva kastooriya
'उड़ान'
'उड़ान'
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
इस घर से .....
इस घर से .....
sushil sarna
हम वर्षों तक निःशब्द ,संवेदनरहित और अकर्मण्यता के चादर को ओढ़
हम वर्षों तक निःशब्द ,संवेदनरहित और अकर्मण्यता के चादर को ओढ़
DrLakshman Jha Parimal
देखिए खूबसूरत हुई भोर है।
देखिए खूबसूरत हुई भोर है।
surenderpal vaidya
धारा छंद 29 मात्रा , मापनी मुक्त मात्रिक छंद , 15 - 14 , यति गाल , पदांत गा
धारा छंद 29 मात्रा , मापनी मुक्त मात्रिक छंद , 15 - 14 , यति गाल , पदांत गा
Subhash Singhai
मेरी कविताएं पढ़ लेना
मेरी कविताएं पढ़ लेना
Satish Srijan
"दरी दादी"
Dr. Kishan tandon kranti
गले लोकतंत्र के नंगे / मुसाफ़िर बैठा
गले लोकतंत्र के नंगे / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
*ज्यादा से ज्यादा हमको बस, सौ ही साल मिले हैं (गीत)*
*ज्यादा से ज्यादा हमको बस, सौ ही साल मिले हैं (गीत)*
Ravi Prakash
मुक्तक
मुक्तक
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
सरकारी
सरकारी
Lalit Singh thakur
প্রতিদিন আমরা নতুন কিছু না কিছু শিখি
প্রতিদিন আমরা নতুন কিছু না কিছু শিখি
Arghyadeep Chakraborty
वह इंसान नहीं
वह इंसान नहीं
Anil chobisa
*
*" कोहरा"*
Shashi kala vyas
शातिरपने की गुत्थियां
शातिरपने की गुत्थियां
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
घर की रानी
घर की रानी
Kanchan Khanna
जाति आज भी जिंदा है...
जाति आज भी जिंदा है...
आर एस आघात
महाराष्ट्र की राजनीति
महाराष्ट्र की राजनीति
Anand Kumar
Loading...