Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Jul 2016 · 1 min read

तन्हाई अब कातिल हो गई है

ये तन्हाई अब कातिल हो गई
कि अब मेरे लिए मुश्किल हो गई है

तुम ख्वाबों में अब आते हो इतने
कि गमगीं दिल की महफ़िल हो गई है

तेरी दुरी की मज़बूरी भारी पड़े हैं
मगर छुट्टी मिलने की हासिल हो गई है

तेरी यादों में मैं टूटा तड़प कर
तेरी यादें भी संगदिल हो गई हैं

खुले आँखें तो अब रहो सामने तुम
बेसब्र आँखें तुम्हारे काबिल हो गई हैं

@आनंद बिहारी

1 Like · 9 Comments · 709 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
खुद को खोने लगा जब कोई मुझ सा होने लगा।
खुद को खोने लगा जब कोई मुझ सा होने लगा।
शिव प्रताप लोधी
ले आओ बरसात
ले आओ बरसात
Santosh Barmaiya #jay
नारी को सदा राखिए संग
नारी को सदा राखिए संग
Ram Krishan Rastogi
सागर प्रियतम प्रेम भरा है हमको मिलने जाना है।
सागर प्रियतम प्रेम भरा है हमको मिलने जाना है।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
!! एक ख्याल !!
!! एक ख्याल !!
Swara Kumari arya
कैसे भुला दूँ उस भूलने वाले को मैं,
कैसे भुला दूँ उस भूलने वाले को मैं,
Vishal babu (vishu)
पर्यावरण दिवस पर विशेष गीत
पर्यावरण दिवस पर विशेष गीत
बिमल तिवारी “आत्मबोध”
किसी गैर के पल्लू से बंधी चवन्नी को सिक्का समझना मूर्खता होत
किसी गैर के पल्लू से बंधी चवन्नी को सिक्का समझना मूर्खता होत
विमला महरिया मौज
प्रेम पगडंडी कंटीली फिर भी जीवन कलरव है।
प्रेम पगडंडी कंटीली फिर भी जीवन कलरव है।
Neelam Sharma
“ कितने तुम अब बौने बनोगे ?”
“ कितने तुम अब बौने बनोगे ?”
DrLakshman Jha Parimal
साजन तुम आ जाना...
साजन तुम आ जाना...
डॉ.सीमा अग्रवाल
💐प्रेम कौतुक-363💐
💐प्रेम कौतुक-363💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
"पहचान"
Dr. Kishan tandon kranti
डुगडुगी बजती रही ....
डुगडुगी बजती रही ....
sushil sarna
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
कुछ ख़त्म करना भी जरूरी था,
कुछ ख़त्म करना भी जरूरी था,
पूर्वार्थ
बेटियां तो बस बेटियों सी होती है।
बेटियां तो बस बेटियों सी होती है।
Taj Mohammad
*तेरे इंतज़ार में*
*तेरे इंतज़ार में*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
मंज़र
मंज़र
अखिलेश 'अखिल'
रंग भरी एकादशी
रंग भरी एकादशी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
कब मिलोगी मां.....
कब मिलोगी मां.....
Madhavi Srivastava
क्या ग़लत मैंने किया
क्या ग़लत मैंने किया
Surinder blackpen
■ बोली की ग़ज़ल .....
■ बोली की ग़ज़ल .....
*Author प्रणय प्रभात*
बहुत बातूनी है तू।
बहुत बातूनी है तू।
Buddha Prakash
मेरे पापा
मेरे पापा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
*मैं अमर आत्म-पद या मरणशील तन【गीत】*
*मैं अमर आत्म-पद या मरणशील तन【गीत】*
Ravi Prakash
जिन्दगी की यात्रा में हम सब का,
जिन्दगी की यात्रा में हम सब का,
नेताम आर सी
🕉️🌸आम का पेड़🌸🕉️
🕉️🌸आम का पेड़🌸🕉️
Radhakishan R. Mundhra
2482.पूर्णिका
2482.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
डिजिटल भारत
डिजिटल भारत
Satish Srijan
Loading...