Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Sep 2017 · 4 min read

डिफ़ाल्टर

डिफाल्टर

प्रवीण कुमार

हमारे गाॅव में एक परमानन्द जी का परिवार रहता था। षाम को जब मेहनतकष मजदूर,बटोही घर पहॅुच कर विश्राम की मुद्रा में होते थे तब परमानन्द जी के यहाॅ महफिल जमा करती थी। रात्रि के सन्नाटे को चीरती हंसी ठहाके खिलखिलाने की अवाज से लोग ये अन्दाज लगा लेते थे। कि परमानन्द जी का परिवार अभी तक जगा हुआ है। इस तरह कहंे तो गाॅव की रौनक इस परिवार से ही थी। वर्ना दीन-दुखियों, षराबी -कवाबी,जुआरियो,ं सट्टेबाजो, नषेडी भगेंडी लोगो की कमी नही थी हमारे गांव में ।
हमारा गांव यमुना पार बसा हुआ था। बस थोडी ही दूर पर रेलवे स्टेषन बस अड्डा, पोस्ट आॅफिस भवन पास-पास ही थे । मेरे पिता जी तब स्टेषन सुप्रीटैन्डेन्ट हुआ करते थे लोग आदर से उन्हे वर्मा जी कहा करते थे । वैसे उनका पूरा नाम श्री प्रेम चन्द्र प्रसाद वर्मा था । कभी-कभी पिता जी परमानन्द जी की महफिल में भी षामिल हुआ करते थे । हम तब बच्चे हुआ करते थे और पिता जी एवं परमानन्द जी की रसीली सार्थक बातो को ध्यान से सुना करते थे ।
श्री परमानन्द जी चार भाई थे सबसे बडे़ परमानन्द जी स्वंय, दुसरे नम्बर पर भजनानन्द, तीसरे नम्बर पर अर्गानन्द और चैथे नम्बर पर ग्यानानन्द जी थे चारो भाइयेां में क्रमषः दो वर्षो का अन्तर था। परमानन्द जी 60 वर्ष के पूरे हो चुके थे। चारो भाई परम आध्यात्मिक एवं अग्रेजी संस्कार के परम खिलाफ थे। घर में बहुयें घूघट में रहती थी व बच्चे दबी जुवान में ही बात कर सकते थे । बडे संस्कारी बच्चे थे ये सब भ्राता आर्युवेद एवं षास्त्रो के बड़े ज्ञाता थे। अग्रेजी औषधियों का सेवन भी पाप समझते थे ।
एक दिन की बात है परमानन्द जी के सिर मे दर्द उठा फिर चक्क्र भी आया हृस्ट पुस्ट षरीर में मामूली सा चक्क्र आना उन्हे कोई फर्क नही पड़ा । वे वैसे ही मस्त रहा करते थे। अचानक एक दिन साइकिल से जाते वक्त सबजी मण्डी के पास उनकी आखों के आगे अन्धेरा छाने लगा व जोर से चक्कर आया वे गिर पडे़। लोग उन्हे उठाने दौड़ पडे लोगो ने उन्हे अस्पताल पहुचाया उनका रक्त-चाप अतयन्त बढ़ा हुआ था। डाक्टर साहब ने अग्रंेजी दवाइयां खाने को दी, जो जीवन रक्षक थी लोगो के लिहाज या डाक्टर साहब की सलाह मान कर उन्हानें दवाइयां ले ली परन्तु उन्हे इन दवाइयांे का सेवन जीवन भर करना मंजूर नही था। अतः उन्होने कुछ दिनो के पश्चात इन दवाइयों का सेवन बन्द कर, जडी़ बूटियो ं और परहेज पर विष्वास करना षुरू कर दिया।
कुछ दिन बीते कुछ पता ही नही चला । उच्च रक्त-चाप कोई लक्षण प्रर्दषित नही कर रहा था अतः उन्होने सब कुठ ठीक मानकर औषधीयों का सेवन भी बन्द कर दिया ।
अब तक दो वर्ष बीत चुके थे। परमानन्द जी प्रातः उठे तो प्रकाष के उजाले में उन्होने बल्ब की रोषनी में इन्द्र धनुषीयें रंग नजर आने लगा बायां हाथ और बायां पैर कोषिष करने के बावजूद कोई गति नही कर रहा था । कुछ -कुछ जुवान भी लडखडा रही थी मुह भी दायी और टैढा होे गया था पल्के बन्द नही हो रही थी सारे लक्षण पक्षाघात के प्रकट हो चुके थे डाक्टर को बुलाया गया, उस समय हमारी तरह 108 एम्बुलेैंस नही हूुआ करती थी कि फोन लगाओ और एम्बुलेैंस हाजिर और उपचार षुरू बल्कि डाक्टर महोदय बहुत अष्वासन एवं मोटी फीस लेकर ही घर में चिकित्सा व्यवस्था करने आते थे ।
डाक्टर का मूड़ उखडा हुआ था जब उन्हे ये मालूम हुआ कि उच्च रक्त-चाप होते हुये भी परमानन्द जी ने औषाधियों का सेवन दो वर्ष पहले ही बन्द कर दिया था ।उसके बाद न तो रक्त-चाप ही चेक कराया न ही कोई परामर्ष लिया । डाक्टर के मुह से अचानक निकला डिफाल्टर, ये तो बहुत बडा डिफाल्टर है जान बूझकर भी इसने दवाइयों का सेवन नही किया न ही सलाह ली । नतीजतन इसको अन्जाम भुगतना पडा़ अब इसका कुछ नही हो सकता इसे मेडिकल काॅलेज ले जाओ तभी इसकी जान बच सकती है। अभी पक्षाघात हुआ है अगर हृदयाघात भी हुआ तो जान भी जा सकती है।
परमानन्द जी के परिवार पर मुसीबत का पहाड़ सा टूुट पडा़ था। ंआनन फानन में वाहन की व्यवस्था कर उन्हे मेडिकल काॅलेज ले जाया गया। डाक्टरो के निरंतर प्रयासो से परमानन्द जी की जान तो बच गयी परन्तु वे जीवन भर बैसाखी के सहारे जीते रहे ।
हिन्दी अग्रजी संस्कारो के टकराव ने औषाधियों और मानव जीवन में भी भेद कर दिया था चिकित्सा विज्ञान की कोई जाति नही होती कोई धर्म नही होता है। चिकित्सा विज्ञान देष की सीमाओ से परे केवल मानवता के हित में होता है उसका उददेषय जीवन के प्रत्येक क्षणो को उपयोगी सुखमय एवं स्वस्थ्य बनाना होता है। अतः डिफााल्टर कभी मत बनिये ंहमेषा डाक्टर की सलाह को ध्यान से सुनये व पालन कीजिये तभी मानवता की दृष्टि में चिकित्सा विज्ञान का अहम येागदान हो सकता है ।
नोट-उच्च रक्त-चाप दिवस पर विषेष कहानी।

Language: Hindi
257 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
View all
You may also like:
★गैर★
★गैर★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
मेरी ख़्वाहिश ने
मेरी ख़्वाहिश ने
Dr fauzia Naseem shad
जिंदगी की सड़क पर हम सभी अकेले हैं।
जिंदगी की सड़क पर हम सभी अकेले हैं।
Neeraj Agarwal
अलाव
अलाव
गुप्तरत्न
2843.*पूर्णिका*
2843.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
प्रणय 6
प्रणय 6
Ankita Patel
गर्दिश का माहौल कहां किसी का किरदार बताता है.
गर्दिश का माहौल कहां किसी का किरदार बताता है.
कवि दीपक बवेजा
ना जाने क्यों ?
ना जाने क्यों ?
Ramswaroop Dinkar
बाल कविता: 2 चूहे मोटे मोटे (2 का पहाड़ा, शिक्षण गतिविधि)
बाल कविता: 2 चूहे मोटे मोटे (2 का पहाड़ा, शिक्षण गतिविधि)
Rajesh Kumar Arjun
हमें आशिकी है।
हमें आशिकी है।
Taj Mohammad
है नसीब अपना अपना-अपना
है नसीब अपना अपना-अपना
VINOD CHAUHAN
अपने आप से भी नाराज रहने की कोई वजह होती है,
अपने आप से भी नाराज रहने की कोई वजह होती है,
goutam shaw
नारदीं भी हैं
नारदीं भी हैं
सिद्धार्थ गोरखपुरी
Shayari
Shayari
Sahil Ahmad
तुम्हें ना भूल पाऊँगी, मधुर अहसास रक्खूँगी।
तुम्हें ना भूल पाऊँगी, मधुर अहसास रक्खूँगी।
डॉ.सीमा अग्रवाल
खालीपन - क्या करूँ ?
खालीपन - क्या करूँ ?
DR ARUN KUMAR SHASTRI
*जनहित में विद्यालय जिनकी, रचना उन्हें प्रणाम है (गीत)*
*जनहित में विद्यालय जिनकी, रचना उन्हें प्रणाम है (गीत)*
Ravi Prakash
भारत देश
भारत देश
लक्ष्मी सिंह
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
फकीरी
फकीरी
Sanjay ' शून्य'
💐प्रेम कौतुक-307💐
💐प्रेम कौतुक-307💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
उत्तर प्रदेश प्रतिनिधि
उत्तर प्रदेश प्रतिनिधि
Harminder Kaur
द्वारिका गमन
द्वारिका गमन
Rekha Drolia
काश अभी बच्चा होता
काश अभी बच्चा होता
साहिल
माई कहाँ बा
माई कहाँ बा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
तेरी चाहत हमारी फितरत
तेरी चाहत हमारी फितरत
Dr. Man Mohan Krishna
"मोल"
Dr. Kishan tandon kranti
यूंही सावन में तुम बुनबुनाती रहो
यूंही सावन में तुम बुनबुनाती रहो
Basant Bhagawan Roy
सिनेमा,मोबाइल और फैशन और बोल्ड हॉट तस्वीरों के प्रभाव से आज
सिनेमा,मोबाइल और फैशन और बोल्ड हॉट तस्वीरों के प्रभाव से आज
Rj Anand Prajapati
■लगाओ नारा■
■लगाओ नारा■
*Author प्रणय प्रभात*
Loading...