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25 Jan 2017 · 1 min read

झूठ की चादर उड़ाई जा रही है

झूठ की चादर उड़ाई जा रही है
बात कुछ ऐसे बताई जा रही है

क्या कहेंगे लोग,कहकर ही सदा से
बस शराफत ही डराई जा रही है

चार दिन की ज़िन्दगी,फिर क्यों दिलों में
आग नफरत की लगाई जा रही है

फ़ैसले देने में देखो देर करके
बात ही केवल दबाई जा रही है

दर्द के सँग रस्म जीने की सभी अब
‘अर्चना’ हँस कर निभाई जा रही है

डॉ अर्चना गुप्ता

1 Like · 1 Comment · 361 Views
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