” ——————————————— झुके न कभी निगाहें ” !!
प्यार सभी को मन भाता है , प्यार सभी हैं चाहें !
प्यार अगर हो सच्चे दिल से , झुके न कभी निगाहें !!
बेजुबान से प्यार करें तो , यार बने वह सच्चा !
सेवा सध जाये तो जानो , जन जन हमें सराहें !!
धोखा औ फरेब तो केवल , बीच है अपने पलता !
जीवों और परिंदों के लिये , खोल रखे ये बाहें !!
नफरत अपनों में पलती है , मिलते रहें छलावे !
उन अबोध के लिये भी रखो , थोड़ी बहुत पनाहें !!
अपने लिए तो सब सोचें है , कुछ औरों कीसोचें !
उनका दर्द अगर बंट जाये , ऐसी चुन लें राहें !!
पाप पुण्य का भेद न जानें , धर्म अगर सेवा हो !
इतने कान खुले रखना हैं , सुनते रहें कराहें !!
लोग हँसे या चर्चे कर लें , सब जानो बेमानी !
अवसर हमें भुनाना है तो , भरते रहे क्यों आहें !!
बृज व्यास