जुबां ये झूम कर बोली कि चारो धाम तो आया
बड़ा ही दिल नशी दिलकश हसीं अय्याम तो आया
जनम दिन है ये कोमल का चलो पैग़ाम तो आया
??
बड़े अरमान से भेजा दुआओं से भरा तोहफा
कुबूलो तुम इसे दिलबर तुम्हारे नाम तो आया
??
रुलाया मुफलिसी ने आज तक हमको मेरे यारों
मनायें बाद मुद्दत के खुशी वो शाम तो आया
??
छिड़ी जब जंग आंखों में हार दिल को गया था मैं
मगर दीवानगी पे अब उन्हें इक़राम तो आया
??
उसे ठुकराया लोगों ने मिला पैग़ाम जब ये तो
सुकूं दिल को नहीं आया मगर आराम तो आया
??
बरस पहले जो खाई थी कसम संग संग रहने की
पता है दिल में दिलबर के वो अब इतमाम तोआया
??
अचानक मां की आमद पे हुआ खुश दिल मेरा “प्रीतम”
जुबां ये झूम कर बोली कि चारो धाम तो आया
प्रीतम राठौर भिनगई
श्रावस्ती (उ०प्र०)