Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Jun 2017 · 3 min read

जीवन में नारी शिक्षा का महत्व

जीवन में नारी शिक्षा का महत्व

इतिहास इस बात का साक्षी है कि मानव सभ्यता का विकास शिक्षा के द्वारा ही संभव हुआ है । कहा गया है कि बिना शिक्षा के मनुष्य बिना पूँछ के पशु के समान है । इसलिए समाज के प्रत्येक स्त्री व पुरुष के लिए शिक्षित होना अनिवार्य है । स्त्री व पुरुष दोनों ही समाज रूपी गाड़ी के दो पहिये हैं और यदि पुरुष शिक्षित है तथा नारी अशिक्षित है तो यह गाड़ी सुचारु रूप से आगे नहीं चल सकती । स्त्री शिक्षा के अभाव में सामाजिक जीवन में अस्थिरता व अनिश्चितता की स्थिति दृष्टिगत होती है । इसलिए सुशिक्षित समाज के निर्माण के लिए समाज के प्रत्येक वर्ग की नारी का शिक्षित होना अनिवार्य है ।
आज के प्रगतिशील समय में भी यह देखने में आया है कि समाज के कुछ वर्गों द्वारा अभी भी नारी शिक्षा को नजर अंदाज किया जाता है । जबकि किसी को भी शिक्षा से वंचित रखना एक अपराध के समान है । विश्व प्रसिद्ध फ्रांसीसी शासक नेपोलियन बोनापार्ट जैसे योद्धा का भी कहना था कि यदि माँ अशिक्षित है तो राष्ट्र की उन्नति संभव नहीं है । यदि परिवार नागरिकता की प्रथम पाठशाला है तो माँ उस पाठशाला की प्रथम अध्यापिका है । यदि वह प्रथम शिक्षिका ही अशिक्षित है तो परिवार एक अच्छी पाठशाला कैसे सिद्ध हो सकता है । देश के भावी नागरिक योग्य व सुशिक्षित हों इसलिए उनका पालन पोषण एक सुशिक्षित माँ के नेतृत्व में होना चाहिए ।
परिवार में एक स्त्री तीन रूपों में अपनी भूमिका का निर्वाह करती है । आरंभ में एक पुत्री , तत्पश्चात एक पत्नी और फिर माँ । एक शिक्षित नारी अपनी तीनों भूमिकाओं को अच्छी तरह समझ सकती है तथा अपने कर्तव्यों का भली प्रकार निर्वहन कर सकती है । नारी ने घर से बाहर निकलकर जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में पुरुषों के समान अपनी सहभागिता निभाई है । साहित्य सृजन के क्षेत्र में वह महाश्वेता देवी है तो विज्ञान के क्षेत्र में कल्पना चावला । समाज कल्याण के क्षेत्र में वह मदर टेरेसा है तो राजनीति के क्षेत्र में वह स्वर्गीय श्रीमति इंदिरा गाँधी जैसी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर की नेता के रूप में स्थापित हो चुकी है ।
प्राचीन समय में भी स्त्रियों को शिक्षा ग्रहण करने की पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त थी । वे ऋषियों के आश्रम में रहकर गुरुजन से शिक्षा ग्रहण करती थीं । वे विभिन्न कलाओं जैसे – गायन , नृत्यकला , चित्रकला , युद्धकला में पारंगत होने के साथ साथ गणितज् भी थीं ।
मध्यकालीन समय में मुस्लिम शासकों के भारत आगमन से हमारी सभ्यता व संस्कृति पर कटु प्रहार हुआ । उन्होंने न केवल भारत पर शासन किया बल्कि हमारे सामाजिक परिवेश को खंड विखंड कर दिया । इसी कारण महिलाओं को शिक्षा के क्षेत्र से वंचित किया जाने लगा और उन्हें घर की चार दीवारी में कैद कर दिया गया । अंग्रेजी शासन काल में स्त्रियों को कुछ सीमा तक स्वतंत्रता प्राप्त हुई , किंतु यह केवल उच्च व धनिक वर्ग तक ही सीमित रगी ।
भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद स्त्रियों की दशा में भी सुधार के प्रयास हुए । संविधान द्वारा देश के सभी स्त्री पुरुषों को समान मौलिक अधिकार प्रदान किए गये , जिसके अंतर्गत समान शिक्षा की व्यवस्था की गयी । इससे महिलाओं के शैक्षिक स्तर में काफी सुधार आना प्रारंभ हुआ है । महिला शिक्षा की स्थिति में सुधार का प्रमाण यह है कि स्वतंत्रता के समय भारत में महिला शिक्षा का प्रतिशत केवल 7.5 प्रतिशत था जो आज 65.46 प्रतिशत है । स्वतंत्र भारत में शिक्षित महिलाएँ न केवल अपने परिवार की देखरेख कर रही हैं अपितु अपने परिवार के रहन सहन के स्तर को ऊँचा उठाने के लिए आत्मनिर्भर होकर परिवार की आर्थिक रूप से मदद भी कर रहीं हैं ।

डॉ रीता
एफ – 11 , फेज़ – 11
आया नगर , नई दिल्ली – 47

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 2 Comments · 7680 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Rita Singh
View all
You may also like:
बलिदान
बलिदान
लक्ष्मी सिंह
धन ..... एक जरूरत
धन ..... एक जरूरत
Neeraj Agarwal
उसको फिर उसका
उसको फिर उसका
Dr fauzia Naseem shad
गल्तफ़हमी है की जहाँ सूना हो जाएगा,
गल्तफ़हमी है की जहाँ सूना हो जाएगा,
_सुलेखा.
चुगलखोरों और जासूसो की सभा में गूंगे बना रहना ही बुद्धिमत्ता
चुगलखोरों और जासूसो की सभा में गूंगे बना रहना ही बुद्धिमत्ता
Rj Anand Prajapati
R J Meditation Centre, Darbhanga
R J Meditation Centre, Darbhanga
Ravikesh Jha
दिल है के खो गया है उदासियों के मौसम में.....कहीं
दिल है के खो गया है उदासियों के मौसम में.....कहीं
shabina. Naaz
*ट्रस्टीशिप विचार: 1982 में प्रकाशित मेरी पुस्तक*
*ट्रस्टीशिप विचार: 1982 में प्रकाशित मेरी पुस्तक*
Ravi Prakash
2778. *पूर्णिका*
2778. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
** मन में यादों की बारात है **
** मन में यादों की बारात है **
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मुक्ति
मुक्ति
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
ज़िंदगानी
ज़िंदगानी
Shyam Sundar Subramanian
हर इंसान होशियार और समझदार है
हर इंसान होशियार और समझदार है
पूर्वार्थ
* नव जागरण *
* नव जागरण *
surenderpal vaidya
शायरी 2
शायरी 2
SURYA PRAKASH SHARMA
💐Prodigy Love-45💐
💐Prodigy Love-45💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
खिंचता है मन क्यों
खिंचता है मन क्यों
Shalini Mishra Tiwari
तुम इश्क लिखना,
तुम इश्क लिखना,
Adarsh Awasthi
वायदे के बाद भी
वायदे के बाद भी
Atul "Krishn"
आओ दीप जलायें
आओ दीप जलायें
डॉ. शिव लहरी
رام کے نام کی سب کو یہ دہائی دینگے
رام کے نام کی سب کو یہ دہائی دینگے
अरशद रसूल बदायूंनी
आवश्यकता पड़ने पर आपका सहयोग और समर्थन लेकर,आपकी ही बुराई कर
आवश्यकता पड़ने पर आपका सहयोग और समर्थन लेकर,आपकी ही बुराई कर
विमला महरिया मौज
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
■सियासी फार्मूला■
■सियासी फार्मूला■
*Author प्रणय प्रभात*
बढ़ता उम्र घटता आयु
बढ़ता उम्र घटता आयु
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
शिव
शिव
Dr Archana Gupta
पुलवामा वीरों को नमन
पुलवामा वीरों को नमन
Satish Srijan
कुंडलिया छंद *
कुंडलिया छंद *
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
शिक्षक है आदर्श हमारा
शिक्षक है आदर्श हमारा
Harminder Kaur
मकसद ......!
मकसद ......!
Sangeeta Beniwal
Loading...