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2 Jul 2017 · 1 min read

जीवन तड़पे धरती तड़पे

जीवन तड़पे धरती तड़पे
हर घर सूना लागे रे
वन वन मे तो फिरू भटकती
हर वन सूना लागे रे

तपती धरती तपता सूरज
नदिया सूनी लागे रे
तड़प तड़प के पंछी मरते
जीव अधूरा लागे रे

नाही मगर है ना ही मछली
कमल अधूरा लागे रे
हिरना भालू बंदर मामा
वन वन सूना लागे रे

नगर बसे अब उजड़े वन मे
सब जग सूना लागे रे
तुलसी नीम नही आगन मे
हर घर सूना लागे रे

कृष्णा कहता पेड. लगालो
वन वन सूना लागे रे
जीवन तड़पे धरती तड़पे
हर घर सूना लागे रे
कृष्णकांत गुर्जर

Language: Hindi
6 Likes · 234 Views
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