Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Jul 2017 · 2 min read

जिम्मेदारी किसकी….?

आज मै वसुधा जी का एक लेख पढ रहा था फेसबुक पर तभी मेरे दिमाग का कीड़ा कुलबुलाया और मैनें तुरन्त ही उस पोस्ट की पोस्टमार्टम करने की ठान ली।
सबजेक्ट था बालीवुड के द्वारा परोसे जा रहे नग्नता के संदर्भ में। माना दिन ब दिन बालीवुड नायिकाओं के वस्त्रों को छोटा और छोटा किये जा रहा है , जिस दृश्य को पहले पेड़ो के ओट में फिल्मा कर उनके स्थान पर दो फुलों को एक साथ दिखाकर प्रेम या मिलन के भाव दर्शाये जाते थे आज उन अन्तरंग दृश्यों को खुलेआम पर्दे पर दिखाया जाने लगा है, हर एक फिल्म में आईटम सांग के नाम पर फुहड़ता परोसा जाने लगा है यहाँ तक की कल तक जिन द्विअर्थी बातों के लिए हम अपने बच्चों को असभ्य कह कर डांट दिया करते थे आज वहीं बातें इन फिल्मों में सुपरहिट डायलॉग का स्थान प्राप्त कर भरपूर सोहरत बटोर रहीं है।
हाल फिलहाल में हीं एक बहुत बड़े स्टार के फिल्म का एक डायलॉग तहलका मचा रखा था ” तुममें हम इतना छेद करेंगे कि कन्फ्यूज हो जाओगे कि सांस कहाँ से लें और………….।
दोस्तों मै आपसे मुखातिब हो यह प्रश्न करता हूँ कि इस नग्नता, इस फुहड़ता के लिए क्या केवल बालीवुड वाले, टालीबुड वाले, भोजुबुड वाले ही जिम्मेदार हैं या कहीं ना कहीं हम सब भी इसके लिए समान रुप से जिम्मेदार हैं।
आज की सबसे बड़ी सच्चाई यही है कि हम उन्हीं फिल्मों को पसंद करते हैं जिसमें नग्नता, फुहड़ता , द्विअर्थी भाषा का कूट कूट कर पूरे सलीके से समावेश किया गया हो।
उन्हीं गानों को पसंद किया जाने लगा है जो अश्लीलता की पराकाष्ठा को पार करती हों
अब आप भोजपुरी गानों को हीं ले लें कल तक जिन गानो को सुनकर मधुरता का बोध होता था वहीं आज के गाने उन्माद पैदा करने लगे हैं, सभ्यता , संस्कृति को तार-तार करते ये गाने आज धड़ल्ले से बीक भी रहे है और सार्वजनिक स्थलों पर सुने भी जा रहे हैं।
नग्नता आज फिल्मों का, गानों के कामयाबी का सबसे मुख्य व अहम शस्त्र बन गया है और सभी प्रोडक्शन कम्पनियां, म्यूजिक कम्पनियां इन शस्त्रों का भरपूर उपयोग कर अपना ऊल्लू सिधा करने में लगी है।
जिन फिल्मों में, जिन गानों में , इन विंदुओं का तड़का न लगा हो वे बाँक्स आफिस पें औधे मुंह गीरती है और पानी तक नहीं मांगती।
ऐसा नहीं है कि बालीवुड समाजिक , देशभक्ति, सांस्कृति प्रधान, साफसुथरी फिल्में नहीं बनाता, ऐसी फिल्में भी प्रति वर्ष थोक के भाव बनती व प्रदर्शित भी होती हैं किन्तु उनका हश्र क्या होता है यह सबको पता है।
अब मेरे भाई वे भी तो बिजनेसमैन ही है और घाटे का सौदा भला कौन करना चाहता है आज जो बीक रहा है वहीं वो बेच रहे है।
अगर इन सब से निजात पाना है तो आप खरीदना बंद कर दे वो बेचना बन्द कर देंगें।
हम जो सुधरे तो यकीन जानिये सुधार खुद बखुद होने लगेगा।
बाकी समझदार तो आप सब भी है।
जय हिन्द।
पं.संजीव शुक्ल”सचिन”

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 668 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from संजीव शुक्ल 'सचिन'
View all
You may also like:
आग लगाते लोग
आग लगाते लोग
DR. Kaushal Kishor Shrivastava
चोर उचक्के सभी मिल गए नीव लोकतंत्र की हिलाने को
चोर उचक्के सभी मिल गए नीव लोकतंत्र की हिलाने को
Er. Sanjay Shrivastava
" हैं पलाश इठलाये "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
मोबाईल नहीं
मोबाईल नहीं
Harish Chandra Pande
मन और मस्तिष्क
मन और मस्तिष्क
Dhriti Mishra
बदले-बदले गाँव / (नवगीत)
बदले-बदले गाँव / (नवगीत)
ईश्वर दयाल गोस्वामी
मर्द की कामयाबी के पीछे माँ के अलावा कोई दूसरी औरत नहीं होती
मर्द की कामयाबी के पीछे माँ के अलावा कोई दूसरी औरत नहीं होती
Sandeep Kumar
2386.पूर्णिका
2386.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
// अगर //
// अगर //
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
"इफ़्तिताह" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
अब किसपे श्रृंगार करूँ
अब किसपे श्रृंगार करूँ
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
🥀 * गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 * गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
चार पैसे भी नही..
चार पैसे भी नही..
Vijay kumar Pandey
आत्मा
आत्मा
Bodhisatva kastooriya
कँवल कहिए
कँवल कहिए
Dr. Sunita Singh
मत बांटो इंसान को
मत बांटो इंसान को
विमला महरिया मौज
"जिसे जो आएगा, वो ही करेगा।
*Author प्रणय प्रभात*
बाहर-भीतर
बाहर-भीतर
Dhirendra Singh
होली गीत
होली गीत
Kanchan Khanna
*आँखों से  ना  दूर होती*
*आँखों से ना दूर होती*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
किसी औरत से
किसी औरत से
Shekhar Chandra Mitra
प्रेम
प्रेम
Dr. Shailendra Kumar Gupta
जी-२० शिखर सम्मेलन
जी-२० शिखर सम्मेलन
surenderpal vaidya
फूल खुशबू देते है _
फूल खुशबू देते है _
Rajesh vyas
आहट
आहट
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
*बिटिया रानी पढ़ने जाती {बाल कविता}* ■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
*बिटिया रानी पढ़ने जाती {बाल कविता}* ■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
Ravi Prakash
श्री श्याम भजन 【लैला को भूल जाएंगे】
श्री श्याम भजन 【लैला को भूल जाएंगे】
Khaimsingh Saini
जन्म कुण्डली के अनुसार भूत प्रेत के अभिष्ट योग -ज्योतिषीय शोध लेख
जन्म कुण्डली के अनुसार भूत प्रेत के अभिष्ट योग -ज्योतिषीय शोध लेख
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
खुद से मुहब्बत
खुद से मुहब्बत
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
आइसक्रीम के बहाने
आइसक्रीम के बहाने
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Loading...