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29 Apr 2017 · 1 min read

जिन्दगी

माया के चक्र मे
भ्रमित है हर इक जिन्दगी
अधूरी इच्छाओं से
ग्रसित है हर इक जिन्दगी ।

चिन्ताओं के भंवर मे
कल्पित है हर इक जिन्दगी
सुबह शाम की दौड़ से
व्यथित है हर इक जिन्दगी ।

कुछ सालों के खेल मे
सीमित है हर इक जिन्दगी
सांसों की गिनती मे
जीवित है हर इक जिन्दगी ।

किस दिशा मे जायेगी
अंकित है हर इक जिन्दगी
प्रभु के आदेश से
रचित है हर इक जिन्दगी ।।

राज विग

Language: Hindi
419 Views
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