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29 May 2016 · 1 min read

जाने कैसे

जाने कैसे ये ज़िन्दगी बदल गयी
कागज़ की कश्तियों से खेलते हुए
कब दो वक़्त की रोटियाँ जुटाने में लग गयी
जाने कैसे ये ज़िन्दगी बदल गयी

वो बरसात के मौसम में कीचड़ से खेलना
और गर्मियों की रातों में सड़कों पर दौड़ना
घंटों जो क्रिकेट की पिच पर गुजरती थी
आज लैपटॉप के बटनों पर ही अटक गयी
जाने कैसे ये ज़िन्दगी बदल गयी

वो स्कूल में टीचर की डांट से ना डरना
किताब के पीछे रखकर कॉमिक्स पढ़ना
आखिरी दिन पढ़कर परीक्षा में बैठना
आज एक प्रमोशन के लालच पर डर गयी
जाने कैसे ये ज़िन्दगी बदल गयी

वो कॉलेज की कैंटीन में मस्ती की बातें
फ़ोन पर बातें करते काटी हुई रातें
हाथ में हाथ लिए गुज़ारी हुई बरसातें
आज अपनों से मिलने को तरस गयी
जाने कैसे ये ज़िन्दगी बदल गयी

घर की डाइनिंग में माँ के हाथ का खाना
पापा का गुस्सा और मेरा उनको मनाना
वो रात में आइसक्रीम साथ में खाना
आज स्काइप पर बातें करते और
फ़ोन पे तस्वीरें देखते निकल गयी
जाने कैसे ये ज़िन्दगी बदल गयी

–प्रतीक

Language: Hindi
469 Views
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