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31 May 2017 · 1 min read

जल रहा हूँ मैं

पैरों पे अपना ख़ूने जिगर मल रहा हूँ मैं
बेहद थका हुआ हूँ मगर चल रहा हूँ मैं

शायद के हो ही जाए मुक़द्दर में रौशनी
मानिंद ए आफ़ताब ए सहर जल रहा हूँ मैं

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