जरुरत क्या है मै दुश्मन बनाऊ ज़माने को जब मेरे अपने ही काफ़ी है मुझे रुलाने को
जरुरत क्या है मै दुश्मन बनाऊ ज़माने को
जब मेरे अपने ही काफ़ी है मुझे रुलाने को
.
काश मै उस युग मे होता,जिसमे प्यार मुमकिन होत
..,………अफ़सोस…………..
मै कलयुग मे हुआ ,जिसमे मतलब के सिवा कुछ नहीं होता