Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Mar 2017 · 1 min read

जब दिल लगाना ही नहीं था तुमको बाते ही ना करते

जब दिल लगाना ही नहीं था तुमको,
बाते ही ना करते।
बातो से रिझाना ही नहीं था तुमको,
तुम सन्देश ही ना करते।
यादे समेट निकलते तुम्हारी यादो के,
इउ स्मृतियो पर तो पहरा ही ना करते।
अगर दिल ना तोडा होता आज,
ये दर्द सायरी का हम शौख ही ना करते।
(अवनीश कुमार)

Language: Hindi
1 Like · 452 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कभी चुभ जाती है बात,
कभी चुभ जाती है बात,
नेताम आर सी
दोहावली ओम की
दोहावली ओम की
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
’बज्जिका’ लोकभाषा पर एक परिचयात्मक आलेख / DR. MUSAFIR BAITHA
’बज्जिका’ लोकभाषा पर एक परिचयात्मक आलेख / DR. MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
स्मृति-बिम्ब उभरे नयन में....
स्मृति-बिम्ब उभरे नयन में....
डॉ.सीमा अग्रवाल
Dear me
Dear me
पूर्वार्थ
दोहा -स्वागत
दोहा -स्वागत
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मैंने इन आंखों से ज़माने को संभालते देखा है
मैंने इन आंखों से ज़माने को संभालते देखा है
Phool gufran
नमन!
नमन!
Shriyansh Gupta
राख का ढेर।
राख का ढेर।
Taj Mohammad
कितना अजीब ये किशोरावस्था
कितना अजीब ये किशोरावस्था
Pramila sultan
रेलगाड़ी
रेलगाड़ी
डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्'
असतो मा सद्गमय
असतो मा सद्गमय
Kanchan Khanna
जिंदगी की राहों पे अकेले भी चलना होगा
जिंदगी की राहों पे अकेले भी चलना होगा
VINOD CHAUHAN
* तेरी सौग़ात*
* तेरी सौग़ात*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
हिन्दी पर विचार
हिन्दी पर विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
LALSA
LALSA
Raju Gajbhiye
फूल तो फूल होते हैं
फूल तो फूल होते हैं
Neeraj Agarwal
"खूबसूरती"
Dr. Kishan tandon kranti
जय भोलेनाथ ।
जय भोलेनाथ ।
Anil Mishra Prahari
बिन गुनाहों के ही सज़ायाफ्ता है
बिन गुनाहों के ही सज़ायाफ्ता है "रत्न"
गुप्तरत्न
विचार, संस्कार और रस-4
विचार, संस्कार और रस-4
कवि रमेशराज
दिल चाहे कितने भी,
दिल चाहे कितने भी,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
मायड़ भौम रो सुख
मायड़ भौम रो सुख
लक्की सिंह चौहान
सुन लो मंगल कामनायें
सुन लो मंगल कामनायें
Buddha Prakash
इस गोशा-ए-दिल में आओ ना
इस गोशा-ए-दिल में आओ ना
Neelam Sharma
#दोहा
#दोहा
*Author प्रणय प्रभात*
अगर किरदार तूफाओँ से घिरा है
अगर किरदार तूफाओँ से घिरा है
'अशांत' शेखर
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
सब गुण संपन्य छी मुदा बहिर बनि अपने तालें नचैत छी  !
सब गुण संपन्य छी मुदा बहिर बनि अपने तालें नचैत छी !
DrLakshman Jha Parimal
!! उमंग !!
!! उमंग !!
Akash Yadav
Loading...