जब जब तुम्हें पुकारा, घनश्याम हे मुरारी
दिग्पाल छंद पर आधारित एक गीत
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जब जब तुम्हें पुकारा,घनश्याम हे मुरारी
तुमने सदा हरी हैं ,विपदा सभी हमारी
ये ज्ञान तुम हमें दो ,सदमार्ग पर चले हम
विनती यही ,न कम हो ,हम पर दया तुम्हारी
जब द्रोपदी सभा में आँसूं भरे खड़ी थी
अपनों के सामने ही अपमान सह रही थी
सुनकर पुकार उसकी तब लाज थी बचाई
ये देख कर सभा भी जयकार कर उठी थी
फिर से तुम्हें पुकारे , लाचार आज नारी
विनती यही न कम हो …….
खा साग ले विदुर का, भगवान भक्त द्वारे
तंदुल सुदामा लाये ,तो तीन लोक वारे
माखन चुरा चुरा कर ,सबको रिझाते मोहन
बंसी मधुर सुने जब ,दिल गोपियों ने हारे
सब पूजते तुम्हें हैं ,राधा रमन बिहारी
विनती यही न कम हो …….
डॉ अर्चना गुप्ता