Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Nov 2016 · 1 min read

चोर(लघु कथा)

चोर(लघु कथा)
************
गाँव में चोरों का प्रकोप बढ़ रहा था। लोग परेशान थे।आये दिन किसी-न-किसी घर में चोरी हो जा रही थी। ग्राम प्रधान ने नई योजना बनाई। पूरा गाँव स्थिति से निपटने को तैयार था।रात चढ़े कालू सेठ के घर चोर पहुँचे।घर का मौन उन्हें ज्यादा मुखर लगा,कालू सेठ का चिर परिचित खर्राटा जो सुनने को नहीं मिला। वे भागने लगे।पूरा गाँव होहकारा देकर पीछे पड़ गया। पर चोर तो चोर थे।निकल गए दूर तक,चोरोंवाले गाँव की तरफ।प्रधान जी के नेतृत्व में उनके गाँव का जत्था आगे बढ़ता जा रहा था।पर यह क्या? थोड़ा ही आगे जाने पर वे चौंक गए। एक दूसरा जत्था इन लोगों की तरफ ‘चोरों को गिरफ्तार कराओ, ….चोरों को हवालात पहुँचाओ’ जैसे नारे लगता आ रहा था। जत्थे में शामिल लोग जाने-पहचाने थे। कई बार हवालात की हवा खा चुके थे, चोरी के मुक़दमे चल रहे थे उनपर।प्रधान जी का जत्था भौंचक था।उधर वाले जत्थे से आवाज आई,
-कुछ करो प्रधान जी,चोरी रुक नहीं रही।
-हाँ, कोशिश तो है गंगू।
-बड़ी हसरत से आपको चुना था हमने।क्यूँ भई?’, उसने अपने गिरोहियों को संबोधित कर कहा।
-हाँ,हाँ,’ समवेत स्वर गूँज गया।
-तुम्हारे भरोसे को टूटने नहीं दूँगा, गंगू,’ प्रधानजी की भृकुटि पर बल आ गया।
गंगू की रामनामी गमछी लहराते हुए दारोगाजी ने गंगू की तरफ हथकड़ी बढ़ा दी।कालू सेठ के यहाँ वह गमछी अभी-अभी मिली थी।
@मनन

Language: Hindi
1184 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
Ek ladki udas hoti hai
Ek ladki udas hoti hai
Sakshi Tripathi
■ नूतन वर्षाभिनंदन...
■ नूतन वर्षाभिनंदन...
*Author प्रणय प्रभात*
आदित्य(सूरज)!
आदित्य(सूरज)!
Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash)
“मैं सब कुछ सुनकर भी
“मैं सब कुछ सुनकर भी
दुष्यन्त 'बाबा'
जाते जाते मुझे वो उदासी दे गया
जाते जाते मुझे वो उदासी दे गया
Ram Krishan Rastogi
व्यंग्य क्षणिकाएं
व्यंग्य क्षणिकाएं
Suryakant Dwivedi
*** तुम से घर गुलज़ार हुआ ***
*** तुम से घर गुलज़ार हुआ ***
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
एक generation अपने वक्त और हालात के अनुभव
एक generation अपने वक्त और हालात के अनुभव
पूर्वार्थ
लिखना है मुझे वह सब कुछ
लिखना है मुझे वह सब कुछ
पूनम कुमारी (आगाज ए दिल)
अवधी गीत
अवधी गीत
प्रीतम श्रावस्तवी
2274.
2274.
Dr.Khedu Bharti
4) “एक और मौक़ा”
4) “एक और मौक़ा”
Sapna Arora
*संस्कारों की दात्री*
*संस्कारों की दात्री*
Poonam Matia
योग न ऐसो कर्म हमारा
योग न ऐसो कर्म हमारा
Dr.Pratibha Prakash
रात……!
रात……!
Sangeeta Beniwal
दफ़न हो गई मेरी ख्वाहिशे जाने कितने ही रिवाजों मैं,l
दफ़न हो गई मेरी ख्वाहिशे जाने कितने ही रिवाजों मैं,l
गुप्तरत्न
राजाधिराज महाकाल......
राजाधिराज महाकाल......
Kavita Chouhan
कैसे भुला दूँ उस भूलने वाले को मैं,
कैसे भुला दूँ उस भूलने वाले को मैं,
Vishal babu (vishu)
💐प्रेम कौतुक-412💐
💐प्रेम कौतुक-412💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
एक सच और सोच
एक सच और सोच
Neeraj Agarwal
तोहमतें,रूसवाईयाँ तंज़ और तन्हाईयाँ
तोहमतें,रूसवाईयाँ तंज़ और तन्हाईयाँ
Shweta Soni
*गुरु (बाल कविता)*
*गुरु (बाल कविता)*
Ravi Prakash
जीना सीख लिया
जीना सीख लिया
Anju ( Ojhal )
" बेशुमार दौलत "
Chunnu Lal Gupta
सुई नोक भुइ देहुँ ना, को पँचगाँव कहाय,
सुई नोक भुइ देहुँ ना, को पँचगाँव कहाय,
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
World Books Day
World Books Day
Tushar Jagawat
प्रभु गुण कहे न जाएं तुम्हारे। भजन
प्रभु गुण कहे न जाएं तुम्हारे। भजन
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
सरस्वती वंदना-6
सरस्वती वंदना-6
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
गज़ले
गज़ले
Dr fauzia Naseem shad
कविता ही हो /
कविता ही हो /
ईश्वर दयाल गोस्वामी
Loading...