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6 Jan 2017 · 1 min read

चैन कहाँ आराम कहाँ अब

चैन कहाँ आराम कहाँ अब
खुशियों वाली शाम कहाँ अब

जिसने प्रेम सिखाया जग को
राधा का वो श्याम कहाँ अब

इक दूजे के लिये बने, वो
लक्ष्मण सीता राम कहाँ अब

यहाँ वहाँ बस घूम रहे सब
जाते चारों धाम कहाँ अब

बचपन में जो छुप छुप तोड़े
बगिया के वो आम कहाँ अब

करतीं सारे काम मशीनें
है गरीब को काम कहाँ अब

हाय हलो है चलते चलते
दिल से दुआ सलाम कहाँ अब

जिसे लगाया था बचपन में
माँ की मरहम बाम कहाँ अब

यूँ तो शायर बहुत हो गए
पर ग़ालिब सा नाम कहाँ अब

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