Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Aug 2017 · 2 min read

चिंतन की दिशा

चिंतन की दिशा ।
हम सब मानव प्राणी जितने सामाजिक माने जाते हैं उतने ही विचारशील भी।
सोचते तो सभी है पर क्या सोचना है कैसे सोचना है यह हम अबतक नही सीख पाते है।
यह कम सोचनीय नही है।
सर्वविदित है कि सोच मौलिक रूप से दो प्रकार की होती है सकारात्मक तथा नकारात्मक । दोनो मे हमारा श्रम समय जाया होता है। पर किसी से हमें कोई निष्कर्ष हल निकलता है ।पर नकारात्मक चिंतन से कुछ हासिल नही होता ।हमें समय समय पर सही उम्र सही समय पर यह जानने की जरूरत होती है कि हम अपनी मेधा शक्ति का उपयोग कहाँ करे।यदि सही दिशा में हम नही चिंतन करते तो चिंता का सबब बनता है।
सच बात तो यह भी है चिंता किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता वह तो समस्या वर्धक है। चिंतन एक सही सृजनात्मक क्रिया है जिसक परिणाम नवीन उत्पादन करने वाला होता है।अपने को जानने के लिए एकाग्रता के साथ चिंतन की आवश्यकता होती हैं यह बहु इंद्रिय के साथ साथ सभी शक्तियों का एक ही स्थान पर केन्द्रीय करण है।
सोचे पर सोचकर कि क्या चिंतन करना है।
चिंतन प्राचीन काल से प्रचलित है जब हमे किसी विषय में जानना है तो हम अपने सूझ द्वारा भी चिंतन कर नवीन परिस्थितियों का ज्ञान होता है ।
यह कहना प्रासंगिक होगा कि आजकल तरह तरह के अफवाह तेजी से फैल रही है ।संचार क्रांति के साथ साथ अफवाहों का बाजार गर्म हो रहा है ।आश्चर्य की बात जितनी अधिक साक्षरता बढ रही है। लोगों को बहकाना आसान हो रहा है । कोई दंगा लडाई के पीछे अपना हित साध रहा है। बड़े बड़े लेख हमें सोशल मीडिया में पढने को मिलते है जिनके पीछे केवल उन्माद फैलाना है ।आश्चर्य की बात है कौन हैं जो केवल व्यर्थ चिंतन मे अपनी शक्ति जाया कर रहा है ।

Language: Hindi
Tag: लेख
709 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
नफ़रतों की बर्फ़ दिल में अब पिघलनी चाहिए।
नफ़रतों की बर्फ़ दिल में अब पिघलनी चाहिए।
सत्य कुमार प्रेमी
*मूर्तिकार के अमूर्त भाव जब,
*मूर्तिकार के अमूर्त भाव जब,
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
कैसे वोट बैंक बढ़ाऊँ? (हास्य कविता)
कैसे वोट बैंक बढ़ाऊँ? (हास्य कविता)
Dr. Kishan Karigar
चन्दा लिए हुए नहीं,
चन्दा लिए हुए नहीं,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
दंग रह गया मैं उनके हाव भाव देख कर
दंग रह गया मैं उनके हाव भाव देख कर
Amit Pathak
स्वजातीय विवाह पर बंधाई
स्वजातीय विवाह पर बंधाई
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
आँखों की दुनिया
आँखों की दुनिया
Sidhartha Mishra
सफलता यूं ही नहीं मिल जाती है।
सफलता यूं ही नहीं मिल जाती है।
नेताम आर सी
काल के काल से - रक्षक हों महाकाल
काल के काल से - रक्षक हों महाकाल
Atul "Krishn"
हमने देखा है हिमालय को टूटते
हमने देखा है हिमालय को टूटते
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
देश- विरोधी तत्व
देश- विरोधी तत्व
लक्ष्मी सिंह
*ऋष्यमूक पर्वत गुणकारी :(कुछ चौपाइयॉं)*
*ऋष्यमूक पर्वत गुणकारी :(कुछ चौपाइयॉं)*
Ravi Prakash
आज का मुक्तक
आज का मुक्तक
*Author प्रणय प्रभात*
घर आ जाओ अब महारानी (उपालंभ गीत)
घर आ जाओ अब महारानी (उपालंभ गीत)
दुष्यन्त 'बाबा'
"पापा की परी"
Yogendra Chaturwedi
युवा शक्ति
युवा शक्ति
संजय कुमार संजू
उड़ते हुए आँचल से दिखती हुई तेरी कमर को छुपाना चाहता हूं
उड़ते हुए आँचल से दिखती हुई तेरी कमर को छुपाना चाहता हूं
Vishal babu (vishu)
आ बैठ मेरे पास मन
आ बैठ मेरे पास मन
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
23/24.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/24.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
आप इतना
आप इतना
Dr fauzia Naseem shad
"गणित"
Dr. Kishan tandon kranti
खूबसूरत जिंदगी में
खूबसूरत जिंदगी में
Harminder Kaur
बेवक्त बारिश होने से ..
बेवक्त बारिश होने से ..
Keshav kishor Kumar
शब्द कम पड़ जाते हैं,
शब्द कम पड़ जाते हैं,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
जो चीजे शांत होती हैं
जो चीजे शांत होती हैं
ruby kumari
आज सभी अपने लगें,
आज सभी अपने लगें,
sushil sarna
💐प्रेम कौतुक-522💐
💐प्रेम कौतुक-522💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
ਮੁੜ ਆ ਸੱਜਣਾ
ਮੁੜ ਆ ਸੱਜਣਾ
Surinder blackpen
"शहीद साथी"
Lohit Tamta
Loading...