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30 Sep 2017 · 1 min read

=* * चमके किस्मत का तारा * *=

हाथों की लकीरों पर न करो अंधा विश्वास
कभी-कभी ये कर देती हैं भविष्य का नाश।

इंसान की किस्मत की ये लकीरें
बन जाती हैं कई बार दिमाग की जंजीरें।
वह मान बैठता है इनको बिलकुल सच्चा
बैठ जाता है इनके भरोसे और खाता है गच्चा।

किस्मत को मिला दो उसकी सखी मेहनत से।
चले जहां-जहां जादू किस्मत का
साथ चले वहां-वहां रुतबा मेहनत का।
फिर देखो किस्मत का फेर
किस्मत चमके लगे न देर।

—रंजना माथुर दिनांक 30/07/2017
मेरी स्व रचित एवं मौलिक रचना।
©

Language: Hindi
518 Views
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