??घर से निकलकर देख लो??
तुझे चाहते हैं कितना,दिल में उतरकर देख लो।
तेरे दीद की प्यासी आँखें,नज़रभरकर देख लो।।
सागर की गहराई का किनारे से अन्दाज़ा नहीं लगता।
तमन्ना गर मोती की है,मँझधार में उतरकर देख लो।।
प्यार की राह में,फूल भी हैं और काँटे भी हैं।
ख़्वाहिश गर फूल की है,काँटों पर चलकर देख लो।।
राम भी खाक़ छानते फिरे,सीता की खोज़ में।
हरक़दम पर है रावण पहरा,नज़र जिधर कर देख लो।।
कूचे के हर मोड़ पर एक लैला नज़र आएगी।
शर्त ये है मगर तुम,मंजनू-सा ज़िगर कर देख लो।।
छोड़ी थी लोक लाज मीरा ने श्याम नाम रटते।
चाहा जो मिला उसे,इतिहास के पन्ने पलटकर देख लो।।
“प्रीतम”तेरी प्रीत का चर्चा है आजकल गली-गली।
सुन लोगे अपने कानों,ज़रा घर से निकलकर देख लो।।