Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Jul 2016 · 1 min read

गज़ल (ख्बाब)

गज़ल (ख्बाब)

ख्बाब था मेहनत के बल पर , हम बदल डालेंगे किस्मत
ख्बाब केवल ख्बाब बनकर, अब हमारे रह गए हैं

कामचोरी, धूर्तता, चमचागिरी का अब चलन है
बेअरथ से लगने लगे है ,युग पुरुष जो कह गए हैं

दूसरों का किस तरह नुकसान हो सब सोचते है
त्याग ,करुना, प्रेम ,क्यों इस जहाँ से बह गए हैं

अब करा करता है शोषण ,आजकल बीरों का पौरुष
मानकर बिधि का विधान, जुल्म हम सब सह गए हैं

नाज हमको था कभी पर, आज सर झुकता शर्म से
कल तलक जो थे सुरक्षित आज सारे ढह गए हैं

गज़ल (ख्बाब)
मदन मोहन सक्सेना

411 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
प्यारी-प्यारी सी पुस्तक
प्यारी-प्यारी सी पुस्तक
SHAMA PARVEEN
जो दिल दरिया था उसे पत्थर कर लिया।
जो दिल दरिया था उसे पत्थर कर लिया।
Neelam Sharma
मुझे हर वो बच्चा अच्छा लगता है जो अपनी मां की फ़िक्र करता है
मुझे हर वो बच्चा अच्छा लगता है जो अपनी मां की फ़िक्र करता है
Mamta Singh Devaa
यूँ ही नही लुभाता,
यूँ ही नही लुभाता,
हिमांशु Kulshrestha
■ जीवन सार...
■ जीवन सार...
*Author प्रणय प्रभात*
मसल कर कली को
मसल कर कली को
Pratibha Pandey
सत्य की खोज........एक संन्यासी
सत्य की खोज........एक संन्यासी
Neeraj Agarwal
*याद है  हमको हमारा  जमाना*
*याद है हमको हमारा जमाना*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
कर्मठ राष्ट्रवादी श्री राजेंद्र कुमार आर्य
कर्मठ राष्ट्रवादी श्री राजेंद्र कुमार आर्य
Ravi Prakash
मैं घाट तू धारा…
मैं घाट तू धारा…
Rekha Drolia
"परोपकार के काज"
Dr. Kishan tandon kranti
✍️ मसला क्यूँ है ?✍️
✍️ मसला क्यूँ है ?✍️
'अशांत' शेखर
सजदे में झुकते तो हैं सर आज भी, पर मन्नतें मांगीं नहीं जातीं।
सजदे में झुकते तो हैं सर आज भी, पर मन्नतें मांगीं नहीं जातीं।
Manisha Manjari
हाँ, मेरा यह खत
हाँ, मेरा यह खत
gurudeenverma198
अब बहुत हुआ बनवास छोड़कर घर आ जाओ बनवासी।
अब बहुत हुआ बनवास छोड़कर घर आ जाओ बनवासी।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
जाना ही होगा 🙏🙏
जाना ही होगा 🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
!! होली के दिन !!
!! होली के दिन !!
Chunnu Lal Gupta
क्या करते हो?
क्या करते हो?
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
मैं अपने अधरों को मौन करूं
मैं अपने अधरों को मौन करूं
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
पिता
पिता
Buddha Prakash
हम बेजान हैं।
हम बेजान हैं।
Taj Mohammad
मुस्कान
मुस्कान
नवीन जोशी 'नवल'
हर बला से दूर रखता,
हर बला से दूर रखता,
Satish Srijan
ना सातवें आसमान तक
ना सातवें आसमान तक
Vivek Mishra
तुम ही रहते सदा ख्यालों में
तुम ही रहते सदा ख्यालों में
Dr Archana Gupta
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
"भाभी की चूड़ियाँ"
Ekta chitrangini
2843.*पूर्णिका*
2843.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
उसका प्यार
उसका प्यार
Dr MusafiR BaithA
सुशब्द बनाते मित्र बहुत
सुशब्द बनाते मित्र बहुत
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
Loading...