Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Jul 2016 · 1 min read

मेघ गोरे हुए साँवरे

मेघ गोरे हुए साँवरे
लो थिरकने लगे पाँव रे

देख मन भावनी सी पवन
और महका हुआ ये चमन
भाव में डूब बहने लगी
कल्पना गीत रचने लगी
घूम आई बहुत दूर तक
मन बसे याद के गाँव रे
मेघ गोरे हुए साँवरे

शोर बिजली करे जोर से
शाम लगता मिली भोर से
हैं धरा भी ख़ुशी में मगन
पर अकेला हुआ ये गगन
चाँद सूरज सितारे नहीं
बादलों की घनी छाँव रे
मेघ गोरे हुए साँवरे

प्रीत दिल में कहीं पल रही
पर विरह आग में जल रही
भीगते साथ तन और मन
पर बुझाये बुझी कब अगन
खेलते प्यार में ही रहे
हार या जीत के दाँव रे
मेघ गोरे हुए साँवरे

डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद(उ प्र)

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 15 Comments · 648 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Archana Gupta
View all
You may also like:
देश हमरा  श्रेष्ठ जगत में ,सबका है सम्मान यहाँ,
देश हमरा श्रेष्ठ जगत में ,सबका है सम्मान यहाँ,
DrLakshman Jha Parimal
शासक की कमजोरियों का आकलन
शासक की कमजोरियों का आकलन
Mahender Singh
"ख़्वाहिश"
Dr. Kishan tandon kranti
अनचाहे अपराध व प्रायश्चित
अनचाहे अपराध व प्रायश्चित
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
रमेशराज के वर्णिक छंद में मुक्तक
रमेशराज के वर्णिक छंद में मुक्तक
कवि रमेशराज
अच्छी लगती धर्मगंदी/धर्मगंधी पंक्ति : ’
अच्छी लगती धर्मगंदी/धर्मगंधी पंक्ति : ’
Dr MusafiR BaithA
रंजीत कुमार शुक्ल
रंजीत कुमार शुक्ल
Ranjeet Kumar Shukla
वार्तालाप
वार्तालाप
Shyam Sundar Subramanian
हम्मीर देव चौहान
हम्मीर देव चौहान
Ajay Shekhavat
संसार में मनुष्य ही एक मात्र,
संसार में मनुष्य ही एक मात्र,
नेताम आर सी
सुरक्षा कवच
सुरक्षा कवच
Dr. Pradeep Kumar Sharma
क्यों तुमने?
क्यों तुमने?
Dr. Meenakshi Sharma
" जब तुम्हें प्रेम हो जाएगा "
Aarti sirsat
■ क़तआ (मुक्तक)
■ क़तआ (मुक्तक)
*Author प्रणय प्रभात*
अलिकुल की गुंजार से,
अलिकुल की गुंजार से,
sushil sarna
आज सर ढूंढ रहा है फिर कोई कांधा
आज सर ढूंढ रहा है फिर कोई कांधा
Vijay Nayak
अति आत्मविश्वास
अति आत्मविश्वास
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
💐प्रेम कौतुक-395💐
💐प्रेम कौतुक-395💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
वक़्त गुज़रे तो
वक़्त गुज़रे तो
Dr fauzia Naseem shad
अंत समय
अंत समय
Vandna thakur
"पुरानी तस्वीरें"
Lohit Tamta
* मुक्तक *
* मुक्तक *
surenderpal vaidya
सच तो यही हैं।
सच तो यही हैं।
Neeraj Agarwal
*बड़े नखरों से आना और, फिर जल्दी है जाने की 【हिंदी गजल/गीतिक
*बड़े नखरों से आना और, फिर जल्दी है जाने की 【हिंदी गजल/गीतिक
Ravi Prakash
|| हवा चाल टेढ़ी चल रही है ||
|| हवा चाल टेढ़ी चल रही है ||
Dr Pranav Gautam
ना कर नज़रंदाज़ देखकर मेरी शख्सियत को, हिस्सा हूं उस वक्त का
ना कर नज़रंदाज़ देखकर मेरी शख्सियत को, हिस्सा हूं उस वक्त का
SUDESH KUMAR
विनती
विनती
Kanchan Khanna
बसहा चलल आब संसद भवन
बसहा चलल आब संसद भवन
मनोज कर्ण
वेदना की संवेदना
वेदना की संवेदना
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
चीर हरण ही सोचते,
चीर हरण ही सोचते,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
Loading...