Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Aug 2017 · 1 min read

गुऱूर -न दे

वज्न-2122 1122 1212 112/22
ग़ज़ल
मेरे मौला जो भी देना है दे गुरूर-न दे।
मेरे अपनों से ज़ुदा करदे वो सुरूर-न दे।।

तिश्नगी भी न मिटा पाए एक प्यासे की।
ऐसी दौलत का समंदर मेरे हुज़ूर न दे।।

शख़्स हर एक जहां से मुझे लगे अदना ।
ऐसी होती है बुलंदी मुझे जरूर-न दे।।

जो कड़ी धूप में राही को छांव देता नही।
मेरे आंगन के दरख़्तों में वो खजूर न दे।।

तेरे ब़न्दों को लड़ाऊं मैं बांटकर तुझको।
नफ़रतों का मेरे ज़ेहन में ये फितूर-न दें।।

आज भाई ही बना है रकीब भाई का।
एक दरिया के किनारों को इतनी दूर न दे।।

लोग कहते हैं बड़ा बेअदब़”अनीश”हुआ।
मेरे क़िरदार में मौला तू क्यों सऊर-न दे ।।
@nish shah

535 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
किसी को उदास पाकर
किसी को उदास पाकर
Shekhar Chandra Mitra
कि दे दो हमें मोदी जी
कि दे दो हमें मोदी जी
Jatashankar Prajapati
स्मृतिशेष मुकेश मानस : टैलेंटेड मगर अंडररेटेड दलित लेखक / MUSAFIR BAITHA 
स्मृतिशेष मुकेश मानस : टैलेंटेड मगर अंडररेटेड दलित लेखक / MUSAFIR BAITHA 
Dr MusafiR BaithA
"आज ख़ुद अपने लिखे
*Author प्रणय प्रभात*
दहलीज़ पराई हो गई जब से बिदाई हो गई
दहलीज़ पराई हो गई जब से बिदाई हो गई
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
* मुक्तक *
* मुक्तक *
surenderpal vaidya
युगों की नींद से झकझोर कर जगा दो मुझे
युगों की नींद से झकझोर कर जगा दो मुझे
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
प्रेम पर्व आया सखी
प्रेम पर्व आया सखी
लक्ष्मी सिंह
माँ का निश्छल प्यार
माँ का निश्छल प्यार
Soni Gupta
सत्य की खोज
सत्य की खोज
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
उसकी सुनाई हर कविता
उसकी सुनाई हर कविता
हिमांशु Kulshrestha
महाप्रयाण
महाप्रयाण
Shyam Sundar Subramanian
ਕੁਝ ਕਿਰਦਾਰ
ਕੁਝ ਕਿਰਦਾਰ
Surinder blackpen
बारिश के गुण गाओ जी (बाल कविता)
बारिश के गुण गाओ जी (बाल कविता)
Ravi Prakash
आँखों से नींदे
आँखों से नींदे
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
कोई शिकवा है हमसे
कोई शिकवा है हमसे
कवि दीपक बवेजा
दोस्त
दोस्त
Neeraj Agarwal
"किसे कहूँ मालिक?"
Dr. Kishan tandon kranti
ख्वाहिशों के बोझ मे, उम्मीदें भी हर-सम्त हलाल है;
ख्वाहिशों के बोझ मे, उम्मीदें भी हर-सम्त हलाल है;
manjula chauhan
अच्छा बोलने से अगर अच्छा होता,
अच्छा बोलने से अगर अच्छा होता,
Manoj Mahato
रहे हरदम यही मंजर
रहे हरदम यही मंजर
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
मां जब मैं तेरे गर्भ में था, तू मुझसे कितनी बातें करती थी...
मां जब मैं तेरे गर्भ में था, तू मुझसे कितनी बातें करती थी...
Anand Kumar
मारुति
मारुति
Kavita Chouhan
*
*"शिक्षक"*
Shashi kala vyas
एक चिडियाँ पिंजरे में 
एक चिडियाँ पिंजरे में 
Punam Pande
ना भई ना, यह अच्छा नहीं ना
ना भई ना, यह अच्छा नहीं ना
gurudeenverma198
आदिशक्ति वन्दन
आदिशक्ति वन्दन
Mohan Pandey
#drarunkumarshastriblogger
#drarunkumarshastriblogger
DR ARUN KUMAR SHASTRI
किसी से भी
किसी से भी
Dr fauzia Naseem shad
मुक्तक
मुक्तक
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
Loading...