Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Jul 2016 · 3 min read

गीत – प्रथम मिलन

क्या होता उस रात सखी सुन , सब बतलाती हूँ
प्रथम मिलन की तुझको सारी , कथा सुनाती हूँ

अरमानों की सजी सेज पर
बैठी थी सजकर
पिया खोल दरवाजा चुपके
आये फिर अंदर
कुण्डी करके बन्द सजन फिर
हल्का मुस्काये
अगले पल की सोच सोच कर
कांपी मैं थर थर
आकर मेरे पास पिया ने , हाथ छुआ मेरा
छूई’ मुई सी तब खुद को मैं, सिकुड़ी पाती हूँ
प्रथम मिलन की तुझको सारी , कथा सुनाती हूँ

धीरे धीरे घूँघट मेरा ,
ऊपर सरकाया
पूनम का फिर चाँद गगन से
धरती पर आया
साजन को मुझमें सपनों की ,
परी नजर आई
मैंने भी देखे सपनों को
सच होते पाया
एक अंगूठी मुँह दिखलाई , मुझको पहनाई
मन ही मन नजराना पाकर , मैं हर्षाती हूँ
प्रथम मिलन की तुझको सारी , कथा सुनाती हूँ

पिया मिलन की घड़ी आ गयी
दिल था घबराया
मीठी मीठी बातों से फिर
मुझको बहलाया
बड़े प्यार से माली ने जो
कली खिलाई थी
उसी कली को फूल बनाने
भँवरा मंडराया
तन से तन का हुआ मिलन तो , एक रस्म पगली
मन से मन के हुए मिलन के , लाभ गिनाती हूँ
प्रथम मिलन की तुझको सारी , कथा सुनाती हूँ

मन मिलने पर स्वर्ग धरा पर
दिखने लगता है
दूजे का सुख दुख अपना ही
लगने लगता है
तना मूल से सब वृक्षो का
जुड़ा हुआ जैसे
मानव मानव से ऐसे ही
जुड़ने लगता है
हो जाते है ए’क दूजे के , जीवन भर को हम
ऐसी पावन संस्कृति को मैं , शीश झुकाती हूँ
प्रथम मिलन की तुझको सारी , कथा सुनाती हूँ

मनोज मानव

क्या होता उस रात सखी सुन , सब बतलाती हूँ
प्रथम मिलन की तुझको सारी , कथा सुनाती हूँ

अरमानों की सजी सेज पर
बैठी थी सजकर
पिया खोल दरवाजा चुपके
आये फिर अंदर
कुण्डी करके बन्द सजन फिर
हल्का मुस्काये
अगले पल की सोच सोच कर
कांपी मैं थर थर
आकर मेरे पास पिया ने , हाथ छुआ मेरा
छूई’ मुई सी तब खुद को मैं, सिकुड़ी पाती हूँ
प्रथम मिलन की तुझको सारी , कथा सुनाती हूँ

धीरे धीरे घूँघट मेरा ,
ऊपर सरकाया
पूनम का फिर चाँद गगन से
धरती पर आया
साजन को मुझमें सपनों की ,
परी नजर आई
मैंने भी देखे सपनों को
सच होते पाया
एक अंगूठी मुँह दिखलाई , मुझको पहनाई
मन ही मन नजराना पाकर , मैं हर्षाती हूँ
प्रथम मिलन की तुझको सारी , कथा सुनाती हूँ

पिया मिलन की घड़ी आ गयी
दिल था घबराया
मीठी मीठी बातों से फिर
मुझको बहलाया
बड़े प्यार से माली ने जो
कली खिलाई थी
उसी कली को फूल बनाने
भँवरा मंडराया
तन से तन का हुआ मिलन तो , एक रस्म पगली
मन से मन के हुए मिलन के , लाभ गिनाती हूँ
प्रथम मिलन की तुझको सारी , कथा सुनाती हूँ

मन मिलने पर स्वर्ग धरा पर
दिखने लगता है
दूजे का सुख दुख अपना ही
लगने लगता है
तना मूल से सब वृक्षो का
जुड़ा हुआ जैसे
मानव मानव से ऐसे ही
जुड़ने लगता है
हो जाते है ए’क दूजे के , जीवन भर को हम
ऐसी पावन संस्कृति को मैं , शीश झुकाती हूँ
प्रथम मिलन की तुझको सारी , कथा सुनाती हूँ

मनोज मानव

Language: Hindi
Tag: गीत
3 Comments · 1283 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
यादों की सौगात
यादों की सौगात
RAKESH RAKESH
प्यार कर रहा हूँ मैं - ग़ज़ल
प्यार कर रहा हूँ मैं - ग़ज़ल
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
*नया साल*
*नया साल*
Dushyant Kumar
"एक नज़्म तुम्हारे नाम"
Lohit Tamta
जिंदगी है कि जीने का सुरूर आया ही नहीं
जिंदगी है कि जीने का सुरूर आया ही नहीं
Deepak Baweja
चैन से जिंदगी
चैन से जिंदगी
Basant Bhagawan Roy
"तांगा"
Dr. Kishan tandon kranti
First impression is personality,
First impression is personality,
Mahender Singh
तभी लोगों ने संगठन बनाए होंगे
तभी लोगों ने संगठन बनाए होंगे
Maroof aalam
दिखा तू अपना जलवा
दिखा तू अपना जलवा
gurudeenverma198
ऐसे जीना जिंदगी,
ऐसे जीना जिंदगी,
sushil sarna
नारी सम्मान
नारी सम्मान
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
राम का आधुनिक वनवास
राम का आधुनिक वनवास
Harinarayan Tanha
इसरो के हर दक्ष का,
इसरो के हर दक्ष का,
Rashmi Sanjay
जिंदगी में एक रात ऐसे भी आएगी जिसका कभी सुबह नहीं होगा ll
जिंदगी में एक रात ऐसे भी आएगी जिसका कभी सुबह नहीं होगा ll
Ranjeet kumar patre
पुरानी ज़ंजीर
पुरानी ज़ंजीर
Shekhar Chandra Mitra
सीरिया रानी
सीरिया रानी
Dr. Mulla Adam Ali
खुश रहने की कोशिश में
खुश रहने की कोशिश में
Surinder blackpen
किस्मत की लकीरें
किस्मत की लकीरें
Dr Parveen Thakur
तुझसे वास्ता था,है और रहेगा
तुझसे वास्ता था,है और रहेगा
Keshav kishor Kumar
माया का रोग (व्यंग्य)
माया का रोग (व्यंग्य)
नवीन जोशी 'नवल'
न किजिए कोशिश हममें, झांकने की बार-बार।
न किजिए कोशिश हममें, झांकने की बार-बार।
ओसमणी साहू 'ओश'
मित्र
मित्र
लक्ष्मी सिंह
तेवरीः तेवरी है, ग़ज़ल नहीं +रमेशराज
तेवरीः तेवरी है, ग़ज़ल नहीं +रमेशराज
कवि रमेशराज
3169.*पूर्णिका*
3169.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
साहब का कुत्ता (हास्य-व्यंग्य कहानी)
साहब का कुत्ता (हास्य-व्यंग्य कहानी)
दुष्यन्त 'बाबा'
दर्शन की ललक
दर्शन की ललक
Neelam Sharma
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
सजाता कौन
सजाता कौन
surenderpal vaidya
*हमारे घर आईं देवी (हिंदी गजल/ गीतिका)*
*हमारे घर आईं देवी (हिंदी गजल/ गीतिका)*
Ravi Prakash
Loading...