Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Apr 2017 · 1 min read

गीता श्लोक

देहिनोअस्मिन्यथा देहे कौमारं यौवन जरा।
तथा देहान्तरप्राप्तिर्धीरस्तत्र न मुह्यति॥
श्री० गीता, अ०-२, श्लोक- १३

॥काव्यानुवाद॥
रे पार्थ, जब ये जीवात्मा
देह धारण करे,
बाल, युवा, वृद्ध की
अवस्था का वो वरण करे।
शरीर मृत हो जाता है,
जीव निकल जाता है।
मोक्ष गर न मिले,
नया देह पा जाता है।
फिर रे धनंजय!
है ये शोक क्यूँ?
इस क्षणभंगुर देह के लिए,
धीर नर को मोह क्यूँ!

छोड़ दे मोह पार्थ!
तू इस शरीर का,
शोभन नहीं है ये,
तुझ जैसे धीर का।
कुछ नहीं ये देह,
दो दिन की कहानी है;
खाक हो जाएगी एक दिन,
बुलबुला पानी है।
॥सोनू हंस॥

Language: Hindi
480 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जब हमें तुमसे मोहब्बत ही नहीं है,
जब हमें तुमसे मोहब्बत ही नहीं है,
Dr. Man Mohan Krishna
खुद का साथ
खुद का साथ
Shakuntla Shaku
अच्छे किरदार की
अच्छे किरदार की
Dr fauzia Naseem shad
चार दिन की ज़िंदगी
चार दिन की ज़िंदगी
कार्तिक नितिन शर्मा
सबसे करीब दिल के हमारा कोई तो हो।
सबसे करीब दिल के हमारा कोई तो हो।
सत्य कुमार प्रेमी
"सिलसिला"
Dr. Kishan tandon kranti
बढ़ता कदम बढ़ाता भारत
बढ़ता कदम बढ़ाता भारत
AMRESH KUMAR VERMA
रूबरू।
रूबरू।
Taj Mohammad
"मेरी मसरूफ़ियत
*Author प्रणय प्रभात*
बुंदेली दोहा-अनमने
बुंदेली दोहा-अनमने
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ख्वाबों में भी तेरा ख्याल मुझे सताता है
ख्वाबों में भी तेरा ख्याल मुझे सताता है
Bhupendra Rawat
आप वक्त को थोड़ा वक्त दीजिए वह आपका वक्त बदल देगा ।।
आप वक्त को थोड़ा वक्त दीजिए वह आपका वक्त बदल देगा ।।
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
*आया चैत सुहावना,ऋतु पावन मधुमास (कुंडलिया)*
*आया चैत सुहावना,ऋतु पावन मधुमास (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
क्यों नहीं बदल सका मैं, यह शौक अपना
क्यों नहीं बदल सका मैं, यह शौक अपना
gurudeenverma198
#justareminderekabodhbalak
#justareminderekabodhbalak
DR ARUN KUMAR SHASTRI
3114.*पूर्णिका*
3114.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पुस्तक
पुस्तक
Sangeeta Beniwal
***
*** " हमारी इसरो शक्ति...! " ***
VEDANTA PATEL
An Evening
An Evening
goutam shaw
" तुम्हारी जुदाई में "
Aarti sirsat
मैं मित्र समझता हूं, वो भगवान समझता है।
मैं मित्र समझता हूं, वो भगवान समझता है।
Sanjay ' शून्य'
खिंचता है मन क्यों
खिंचता है मन क्यों
Shalini Mishra Tiwari
बढ़ता उम्र घटता आयु
बढ़ता उम्र घटता आयु
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
दर्द  जख्म कराह सब कुछ तो हैं मुझ में
दर्द जख्म कराह सब कुछ तो हैं मुझ में
Ashwini sharma
"शेष पृष्ठा
Paramita Sarangi
सोनेवानी के घनघोर जंगल
सोनेवानी के घनघोर जंगल
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
अब रिश्तों का व्यापार यहां बखूबी चलता है
अब रिश्तों का व्यापार यहां बखूबी चलता है
Pramila sultan
दुनिया को बचाइए
दुनिया को बचाइए
Shekhar Chandra Mitra
ठण्डी राख़ - दीपक नीलपदम्
ठण्डी राख़ - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
जनक छन्द के भेद
जनक छन्द के भेद
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
Loading...