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30 Jan 2017 · 2 min read

गांधी बापू

रघुपति राघव राजाराम

*********************
आदरणीय महात्मा गाँधी जी
परम्परागत अहिंसावादी जी।
मै आपसे एक बात पूछूं।
कि में आपको क्यों पूजूं।
यहाँ हिन्द में अजीब रस्में हैं।
सभी आपकी खाते कसमे हैं।
आप तो यहाँ इतने पूजे जाते हैं।
की पांच के नोट में भी मिल जाते हैं।
आपकी आड़ में यहाँ
जहरीले जीव भी छुप जाते हैं।
और जब भी मौका मिलता हैं।
वो बाहर निकल आते हैं।
फिर दबोच कर अपना शिकार
आपकी ही आड़ में छिप जाते हैं।
और हम उनका कुछ भी
नही बिगाड़ पाते हैं।
कारण आपके अहिंसा सिदान्त
हमारे आड़े आ जाते हैं।
एक बार मैंने आपके अनशन
वाले हथियार की धमकी दे डाली।
बस उसी दिन से मैंने
एक मुसीबत ले डाली।
ऑफिस वालो ने मुझे
इतना नचाया।
बिन बात ही काफी घुमाया।
इतना ही नही मेरी
मुसीबत आज भी खड़ी है।
मैंने बहुत कोशिश की
फिर भी मेरी फ़ाइल
अभी तक उलझी पड़ी है।
कहते हैं हे गान्धीवादी
जरा गाँधी जी के दर्शन करावो
और अपनी फ़ाइल ले जाओ।
फिर मैंने उपवास भी कर डाला
पर उन्होंने मेरा उपहास कर डाला।
बापू अब यहाँ का
अहि (सांप)इन्सान हो गया है।
उनके लिय हमारे जैसा
खेलने का सामान हो गया है।
सो बापू अब अहिंसा छोड़ना
हमारी बन गई मजबूरी है।
अहि(सांप)इंसानों की
अहि हिंसा जरुरी हैं।
और तुम्हारी आड़ में
जो इन विषधरो का
कुनबा बड़ा हुआ है।
तुमारी मूर्ति के सर पर
चढ़ा हुआ है।
उनकी कायदे से
सफाई जरुरी है।
माफ़ करना बापू
हिन्सा जरुरी हैं।
बस कर दे इनका काम तमाम
तब ही बोलेंगे
रघुपति राघव राजाराम।

****मधु गौतम अटरु

Language: Hindi
247 Views
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