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22 Jun 2016 · 1 min read

ग़ज़ल :–पेट भरता कभी दिल्लगी से नहीं !!

ग़ज़ल :– पेट भरता कभी दिल्लगी से नहीं !!

चाँद में दाग , कहते यकीं से नहीं !
बात बनती हमारी जमीं से नहीं !!

रूबरू जब से मैं तुमसे हुआ हूँ !
शिकायत मुझे जिंदगी से नहीं !!

मिलने-मिलाने के मौशम जवां है !
तुम आओ मगर बेबसी से नहीं !!

जाना मगर , तुम थोड़ी देर ठहरो !
पेट भरता कभी दिल्लगी से नहीं !!

हुस्न जमकर लुटाओ यहाँ आज !
अब शर्म-ओ-हया रोशनी से नहीं !!

1 Like · 2 Comments · 450 Views
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