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1 Aug 2017 · 1 min read

गहरा

आंख से गहरा भी सागर कौन है?
पूछने पर जवाब न मिला,
देखो सारी खुदाई मौन है।
जैसे बरसों से बहती स्वच्छ,
कलकल करती सरिता में,
बैठे चिकने पत्थर सदियों से मौन हैं
,लगता कर्फ्यू सा कोई ज़ोन है।
क्या हैं वो ताल,झील,नदियां, सागर ?
तेरी आंखों की गहराई सहेजे कौन है?
गूंजी आवाज घाटी में, गहराई नापने,
लौट आई घाटी से टकराके और लगी हांफने।
नहीं मिली गहराई अधिक आंखों से तेरी,
देख तभी तो ये खूबसूरत वादियां मौन हैं।
क्या तेरी आंखों से गहरा है सागर?
बता कौन है?

कहते हैं होती है बहुत भी ‘सोच’ गहरी।
बहुत सोचा-समझा, विचार-विमर्श किया।
मगर तेरी आंखों की गहराई का छाया
मेरी ‘सोच’ पर नव उल्लसित यौन है।
बहुत ढूंढा बहुत खोजा,
क्या तेरी आंखों से गहरा है सागर?
बता कौन है?
सोचता ही रहा कि क्या तेरी आंखों से ,
गहरा है सागर? बता कौन है?
तुम्हें देख प्रिय आता है बसंत,
तुम्हें देख कर आता कलियों पर यौन है।
देख नयनों को तेरे, दिल सोच रहा,
क्या तेरी आंखों से गहरा है सागर? बता कौन है?

नीलम सी नीली हैं तेरी चंचल आंखें
बोलती राज़ हैं निगाहों से,
रहते तेरे गुलाबी लब मौन हैं।
क्या तेरी आंखों से गहरा है सागर?
बता कौन है?

नीलम शर्मा

Language: Hindi
Tag: गीत
278 Views
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