Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Nov 2016 · 1 min read

गमले में बेला खिलता था (नव गीत)

गमले में बेला खिलता था
………………………………

छज्जे से नीचे झाँका था
गमले में बेला खिलता थाI
गमले लदे हुए फूलों से
सूरज पूरब में उगता था I

श्वेत रंग का बेला महके
टहनी पर वह कुछ झुकता थाI

धूल भरी आंधी आ गयी
भरे टोकरे अमियों से सब
दादी ने झट काटा पीटा
भरे बियान अचारों से अबI

बीन बीन कर ढेरों अमियाँ
कोई मुझे दूर तकता था।
……आभा

Language: Hindi
Tag: गीत
8 Likes · 630 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
31 जुलाई और दो सितारे (प्रेमचन्द, रफ़ी पर विशेष)
31 जुलाई और दो सितारे (प्रेमचन्द, रफ़ी पर विशेष)
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
खुद से रूठा तो खुद ही मनाना पड़ा
खुद से रूठा तो खुद ही मनाना पड़ा
सिद्धार्थ गोरखपुरी
दिन में रात
दिन में रात
MSW Sunil SainiCENA
नींबू की चाह
नींबू की चाह
Ram Krishan Rastogi
बाल कविता: वर्षा ऋतु
बाल कविता: वर्षा ऋतु
Rajesh Kumar Arjun
काले काले बादल आयें
काले काले बादल आयें
Chunnu Lal Gupta
मां कात्यायनी
मां कात्यायनी
Mukesh Kumar Sonkar
एक हाथ में क़लम तो दूसरे में क़िताब रखते हैं!
एक हाथ में क़लम तो दूसरे में क़िताब रखते हैं!
The_dk_poetry
*बुरे फँसे कवयित्री पत्नी पाकर (हास्य व्यंग्य)*
*बुरे फँसे कवयित्री पत्नी पाकर (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
जड़ता है सरिस बबूल के, देती संकट शूल।
जड़ता है सरिस बबूल के, देती संकट शूल।
आर.एस. 'प्रीतम'
गीत..
गीत..
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
दोस्ती गहरी रही
दोस्ती गहरी रही
Rashmi Sanjay
खामोश रहना ही जिंदगी के
खामोश रहना ही जिंदगी के
ओनिका सेतिया 'अनु '
कैसे भूल जाएं...
कैसे भूल जाएं...
Er. Sanjay Shrivastava
पृथ्वीराज
पृथ्वीराज
Sandeep Pande
■ काम की बात
■ काम की बात
*Author प्रणय प्रभात*
व्यंग्य क्षणिकाएं
व्यंग्य क्षणिकाएं
Suryakant Dwivedi
वो मेरे दर्द को
वो मेरे दर्द को
Dr fauzia Naseem shad
चल सतगुर के द्वार
चल सतगुर के द्वार
Satish Srijan
भक्ति एक रूप अनेक
भक्ति एक रूप अनेक
DR ARUN KUMAR SHASTRI
रमेशराज की पत्नी विषयक मुक्तछंद कविताएँ
रमेशराज की पत्नी विषयक मुक्तछंद कविताएँ
कवि रमेशराज
की है निगाहे - नाज़ ने दिल पे हया की चोट
की है निगाहे - नाज़ ने दिल पे हया की चोट
Sarfaraz Ahmed Aasee
समझ आती नहीं है
समझ आती नहीं है
हिमांशु Kulshrestha
अयाग हूँ मैं
अयाग हूँ मैं
Mamta Rani
ओढ़े  के  भा  पहिने  के, तनिका ना सहूर बा।
ओढ़े के भा पहिने के, तनिका ना सहूर बा।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
2584.पूर्णिका
2584.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
शीत .....
शीत .....
sushil sarna
इंतजार करना है।
इंतजार करना है।
Anil chobisa
Save water ! Without water !
Save water ! Without water !
Buddha Prakash
उसकी गली से गुजरा तो वो हर लम्हा याद आया
उसकी गली से गुजरा तो वो हर लम्हा याद आया
शिव प्रताप लोधी
Loading...