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23 Dec 2016 · 1 min read

गज़ल

——————-
ठहरे जीवन को मेरे रवानी मिली
गहरे पानी में अब निशानी मिली
——————-
जुस्तजू थी ऐसी तम्मनाएं भी
अब जाकर रात सुहानी मिली
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वक्त ने ले लिए इम्तिहाँ इतने
इस उम्र में अब नादानी मिली
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सोचा न था वक्त आएगा ऐसा
बेरुखे दिल को मनमानी मिली
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हो गया तबाह अश्कों के बीच
सपनों जैसी यहां कहानी मिली
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चैन है अब बैचैन दिल को
तुमसे जब से ज़ुबानी मिली
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सब्र करना #बृज समय लगेगा
देख ले तुझे फिर जानी मिली

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