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7 Jul 2017 · 1 min read

गज़ल

संगदिल है बहुत माशूक मेरा न जाने दिल क्यों उसपे आया है
टूटा और छन से बिखर गया,हो जैसे पत्थर से शीशा टकराया है
तू ही समझकर बातादे नीलम कि खता क्या थी हमारी
या क्या था उसमें ढूँड रहा मैं,जो मेरा दिल उसपे आया
?नीलम शर्मा ?

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