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27 May 2017 · 1 min read

गजल

मेरी हर शाम खुशनुमा सी होगी
जब तेरी पनाहों में ज़िंदगी होगी

मेरी पलकों में है उनकी सूरत
उनके लिये तो ये बेबकूफी होगी

जो मेरी नजरों में इबादत सी है
वो तेरी नजर में आशिकी होगी

बिना तुम्हारे क्या बताऊँ तुमको
ताउम्र दिल मे ज्वालामुखी होगी

तुम मेरे पास आकर बैठो तो
तब मेरे दिल मे ताजगी होगी

कही वो मेरी आँखों मे खो गई
तो वो पल मेरी लिये ज़िंदगी होगी

बस एक बार जुल्फों को फैला दो
कसम से भागवत सी शायरी होगी

दूर हुआ तो कसम से तुम बिन
कटी पतंग सी मेरी ज़िन्दगी होगी

रचनाकर – ऋषभ तोमर

1 Like · 342 Views
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