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21 Jun 2017 · 1 min read

कविता : ??सुंदर ये प्रेम अनुपम??

अपना प्यार धरा -अंबर -सा सुन! रानी।
दूर क्षितिज पर मिलता होकर तूफ़ानी।।

हम तुम एक सिक्के के दो पहलूँ हैं।
सजती है मिलकर दोनों की जवानी।।

रब सबकी ज़िंदगी में प्रेम यौवन भरे।
मधुबन -सी हो जाए सजके ज़िंदगानी।।

लेकर मधुर गीत मिलें हम दोनों सनम।
प्यार में हो जाएंगी मौजें फिर सुहानी।।

सावन -घन -सा प्रेम बरसे हरपल अपना।
हो जाएगी जीवन की हर रुत मस्तानी।।

कल -कल बहते झरने -सम निर्मल प्रेम।
फूले -फले बन जाए एकदिन विश्वबानी।।

राग प्रेम का सुंदर सुघर पावन बनेगा।
तेरा मेरा न रहे यहाँ कोई फिर सानी।।

प्रीत की गली में लाखों रंग उड़ते हैं।
होता मन इन्द्रधनुषी उमंगे भर नूरानी।।

पारस प्रेम तन सोने को है चमकाता।
जिसे देखकर दुनिया हो जाती दीवानी।।

“प्रीतम” मोहब्बत तो नशीब से मिलती है।
जिसमें जन्नत की महक है सुन अंजानी।।
……..राधेयश्याम बंगालिया”प्रीतम”
????????????

Language: Hindi
515 Views
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