कविता : ??तन्हा बेचैन दिल??
तूने मुडके देखा मुझे इस कदर।
तीरे-नजर घायल कर गई जिगर।।
सपने सुहाने सजने लगे मन में।
तेरी तस्वीर आँखों में गई उतर।।
दिन में चैन न रातों में हैं नींदे।
दिल को सताए है सूरते-मंजर।।
हरपल देखूँ मैं झरोखे से कूचा।
चाहूँ मैं तू पल में आए नजर।।
कदमे-आहट सुन-सुन मैं चौंकूँ।
मेरे दिल में रहती तेरी फिकर।।
यादें तेरी रह-रह के सताएं हैं।
बहते आँखों से हैं दिले-तस्व्वुर।।
बरसातें जलाती सावन की अब।
तन्हा कटता नहीं जीवन सफर।।
आ जाओ बदली बन बरसो तुम।
झूम उठे प्रेम बूँदों से दिले-सागर।।
सुर सजें मोहब्बत के मन खिलेंं।
आसान हो जाए जीवन की डगर।।
दिल लेकर”प्रीतम”न सता इतना।
देख मेरी बेचैनियाँ रोते हैं पत्थर।।
….राधेयश्याम बंगालिया”प्रीतम”
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