Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 May 2017 · 1 min read

?•अपनी ग़लतियों से…?

अपनी ग़लतियों से हर वक्त सीखता हूँ।
दूसरों की आलोचना पर स्वस्थ रहता हूँ।।

असफल वही होते हैं जो परीक्षा देते हैं।
नदारद की गिनती मैं कभी नहीं करता हूँ।।

चलोगे तो फिसलोगे कभी गिरोगे भी तुम।
ऐसो के लिए उठने की मैं प्रेरणा बनता हूँ।।

रणवीर रण में ही अपना कौशल दिखाते हैं।
अपने मुँह मिया मिट्ठू को वीर नहीं कहता हूँ।।

कोशिशें करें,गिर कर संभलें सच्चे सिपाही।
हिम्मत न हारने वालों की तारीफ़ें करता हूँ।।

पर्वत चढ़ने वाले तो झुककर ही चढते हैं।
सीधा चलने वालों को तो ज़मीं पर देखता हूँ।।

मेरा फलसफ़ा है इस हाथ दे उस हाथ ले।
ऐसे बंदों में मैं व्यवहार का तज़ुर्बा ढूँढ़ता हूँ।।

प्रभु को देखना तो ग़रीबों की आँखों में है।
अमीरों की आँखों में लालची शैतान देखता हूँ।।

तृष्णा तो धोखा है,माया है सुनले बंधु मेरे।
आवश्यकता में सादगी का ज़ज्बा मानता हूँ।।

बुत
को पूजने से भगवान नहीं मिलता कभी।
नेक कर्मों के हौंसलों में भगवान देखता हूँ।।

?प्रीतम?प्रीत इंसानियत से कर इंसान से नहीं।
इंसान को रोज गिरगिट-सा बदलता देखता हूँ।।

……??राधेयश्याम प्रीतम??
…………??????

Language: Hindi
238 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from आर.एस. 'प्रीतम'
View all
You may also like:
नफ़रत के सौदागर
नफ़रत के सौदागर
Shekhar Chandra Mitra
हिन्दी की मिठास, हिन्दी की बात,
हिन्दी की मिठास, हिन्दी की बात,
Swara Kumari arya
*पतंग (बाल कविता)*
*पतंग (बाल कविता)*
Ravi Prakash
हँसते गाते हुए
हँसते गाते हुए
Shweta Soni
तपिश धूप की तो महज पल भर की मुश्किल है साहब
तपिश धूप की तो महज पल भर की मुश्किल है साहब
Yogini kajol Pathak
जरूरी नहीं की हर जख़्म खंजर ही दे
जरूरी नहीं की हर जख़्म खंजर ही दे
Gouri tiwari
पंचचामर मुक्तक
पंचचामर मुक्तक
Neelam Sharma
कुछ बेशकीमती छूट गया हैं तुम्हारा, वो तुम्हें लौटाना चाहता हूँ !
कुछ बेशकीमती छूट गया हैं तुम्हारा, वो तुम्हें लौटाना चाहता हूँ !
The_dk_poetry
कभी-कभी नींद बेवजह ही गायब होती है और हम वजह तलाश रहे होते ह
कभी-कभी नींद बेवजह ही गायब होती है और हम वजह तलाश रहे होते ह
पूर्वार्थ
गिरें पत्तों की परवाह कौन करें
गिरें पत्तों की परवाह कौन करें
Keshav kishor Kumar
हमारा सफ़र
हमारा सफ़र
Manju sagar
गाथा बच्चा बच्चा गाता है
गाथा बच्चा बच्चा गाता है
Harminder Kaur
चलो चलो तुम अयोध्या चलो
चलो चलो तुम अयोध्या चलो
gurudeenverma198
2717.*पूर्णिका*
2717.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
माँ सच्ची संवेदना...
माँ सच्ची संवेदना...
डॉ.सीमा अग्रवाल
"मैं नारी हूँ"
Dr. Kishan tandon kranti
आयी ऋतु बसंत की
आयी ऋतु बसंत की
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
पापा , तुम बिन जीवन रीता है
पापा , तुम बिन जीवन रीता है
Dilip Kumar
झूठ के सागर में डूबते आज के हर इंसान को देखा
झूठ के सागर में डूबते आज के हर इंसान को देखा
Er. Sanjay Shrivastava
इल्जाम
इल्जाम
Vandna thakur
खुदाया करम इन पे इतना ही करना।
खुदाया करम इन पे इतना ही करना।
सत्य कुमार प्रेमी
काल के काल से - रक्षक हों महाकाल
काल के काल से - रक्षक हों महाकाल
Atul "Krishn"
दिल से करो पुकार
दिल से करो पुकार
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
चश्मा
चश्मा
लक्ष्मी सिंह
समझौता
समझौता
Dr.Priya Soni Khare
हरि से मांगो,
हरि से मांगो,
Satish Srijan
रंगों का त्यौहार है, उड़ने लगा अबीर
रंगों का त्यौहार है, उड़ने लगा अबीर
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
रंगों की दुनिया में हम सभी रहते हैं
रंगों की दुनिया में हम सभी रहते हैं
Neeraj Agarwal
Dictatorship in guise of Democracy ?
Dictatorship in guise of Democracy ?
Shyam Sundar Subramanian
Loading...