??◆ये तेरी मद होशियाँ◆??
रीति-रिवाज़ तोड़ तोड़ी ख़ामोशियाँ।
याद रखी प्यार की सब मदहोशियाँ।।
एक बार रूठे फिर मान गए हम।
मिली जब-जब हमें हैं शाबासियाँ।।
हमतुम रहे न दो ज़िस्म दीदार में।
एक हुए मिली दिल की नज़दिकियाँ।।
कभी तुम कभी हम नाराज़ हुए भी।
माफ़ कर दी हमने सब ग़ुस्ताखियाँ।।
मिलन की आग जलाती रही दिल को।
जब-जब हुई हमसे प्यार में ग़लतियाँ।।
आरज़ू एक मिलन की अमर हो गई।
पोंछनी चाही जब प्यार की तख्तियाँ।।
दिल में प्यार का चमन आबाद रहा।
ख़ुशबू में तर रही मन की बस्तियाँ।।
दिल के समंदर में उमड़े अरमाने-झाग।
तैरती रही निरंतर रूह की क़स्तियाँ।।
आबाद दिल का कोना-कोना हो गया।
झूमने लगी जब भी दिल की मस्तियाँ।।
चलो एक आवाज़ दिल की पूरी हुई।
प्यार को मिली रंगीन ग़ज़ब सुर्खियाँ।।
आसमां ने फूल बरसाए धरती ने नूर।
दिल चूर हुआ प्यार में भुला फ़ब्तियाँ।।
“प्रीतम”दिल की अग्न शांत हो गई है।
मान ली हमने आपकी सब अर्ज़िज़ियाँ।।
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राधेयश्याम….बंगालिया….प्रीतम….कृत