??◆ प्रीत का झूला◆??
हुश्नो-शबाब से दिल मेरा,वो चुराके चली गई।
अपनी मीठी बातों से,वो बहलाके चली गई।।
फुरसत में तराशा हुआ पूरनूर बदन क़सम से।
लता-सी बलखाके दिल वो लिपटाके चली गई।।
पास आकर यूँ बैठना,जैसे ख़ुदा मिला हो मुझे।
अपने प्यार के रंग में इतना,वो डुबाके चली गई।।
वो खिलखिलाकर हँसना,मचलकर बातें करना।
ज़ालिम अंदाज़े-वफ़ा से,वो लुभाके चली गई।।
हम सौ-जान से मरने लगे,क्या ख़्याल है आपका।
मेरे इस सवाल पर बस,वो मुस्क़राके चली गई।।
मैंने पूछा ए-चाँद कहाँ से पाया ये रूप सलौना।
सुनकर यह मेरे पास से,वो शरमाके चली गई।।
दाँतों तले दबाके दुपट्टा,वो शरमाके बातें करना।
इसी कमसिन अदा से,वो दिल उड़ाके चली गई।।
तिरछी नज़र से देखा उसने दाँतों तले दबा ऊँगली।
फिर चाँद-सी हँसी,वो इश्क़े-फूल बरसाके चली गई।।
यूँ तन्हा गुमसुम कहाँ खोया है आज यार मेरे।
“प्रीतम”प्रीत का झूला तुझे,वो झुलाके चली गई।।
***********************