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25 Feb 2017 · 1 min read

?? दिल जलता है धुआँ उठता नहीं??

आज दिल मेरा कहीं भी लगता नहीं।
तेरी यादों में उलझा है निकलता नहीं।।

मर्ज़ क्या है?कैसे बताएँ हम किसी को।
दर्द ऐसा मिला है हमें जो ढ़लता नहीं।।

दोस्तों की बज़्म में हैं फिर भी उदास।
वज़ह क्या है कि चेहरा खिलता नहीं।।

चाँद भी है न जाने क्यों शरमाया हुआ।
बादल के घूँघट से आज निकलता नहीं।।

शायद ये फूल भी मुर्झाएँ हैं इसलिए कि।
बहारों को पता चमन का मिलता नहीं।।

हमें देखकर आज वो हँसते हैं बहुत ही।
हमारा दिल जलता है उनका जलता नहीं।।

वक्त की ये बात है धूप-छाँव न हाथ है।
धनुष से निकला तीर कभी थमता नहीं।।

हसरतें मेरी जली हैं धू-धू हिज़्र में उसके।
सिला वो मिला है वफ़ा में संभलता नहीं।।

वफ़ा की राहों में फूल भी हैं काँटे भी हैंं।
किसकी किस्मत में क्या पता चलता नहीं।।

दिल की दुनिया में आग लगी है “प्रीतम”।
दिल जलता है मेरा और धुआँ उठता नहीं।।
************
************
राधेयश्याम”प्रीतम”
कृत
????

Language: Hindi
320 Views
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