??◆तेरी यादों का डेरा◆??
तेरे बिना दिल लगता नहीं मेरा।
दिल में बसा तेरी यादों का डेरा।।
क़ूचे से आए तन्हाई में आहट।
दिल में सजे है तेरा ही चेहरा।।
ख़्वाब नसीले हैं तेरे यौवन के।
देते रहते मेरी आँखों में पहरा।।
जुल्फ़ों को छू आएं जो हवाएँ।
खोलती स्पर्श-आनंद ये गुलेरा।।
दरवाज़े पर दस्तक़ सुन मचलूँ।
तूफ़ान मिलन का उठता फहरा।।
तेरे दीदार की प्यासी हैं आँखें।
रोमांच लिए हैं हरपल सुनेहरा।।
तू मिले रब मिल जाए मुझको।
और नहीं दिल में अरमां ठहरा।।
एक मुलाक़ात में ज़िंदगी गुज़रे।
उस हसीं शब की न हो सहरा।।
गुलाब-से लब फिरसे कली बनें।
मौसम से रिस्ता जुडे़ ख़ूब गहरा।।
“प्रीतम”प्रीत की नदी सागर बने।
हम-तुम मिलें लहरों-से लहरा-2।।
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राधेयश्याम….बंगालिया….प्रीतम
……….कृत………..