?? गणतंत्र-दिवस??
आओ गणतंत्र-दिवस हम,अबके मनाएं ऐसे।
दिल में भरलें उमंगें हम,लहराए तिरंगा जैसे।।
भेदभाव की दीवारों को,दिल से तोड़ बगाएं।
हमसब मिल जाएं ऐसे,फूल और ख़ुशबू जैसे।।
सत्य,अहिंसा,त्याग को,दिल का गहना बनाएं।
मिठास भरी हो वाणी में,कूके है कोयल जैसे।।
सभ्य बनें,शिक्षित बने,ज्ञान भरें हम जीवन में।
मिट जाएं दर्द दिल के,बजती हो चुटकी जैसे।।
लालकिले पर लहराए,तिरंगा वतन की शान है।
ख़ुशियों का दे संदेशा,महका हो गुलशन जैसे।।
खून से लाल हुई धरा,फहरा तिरंगा हो आज़ाद।
फूलों से उड़कर ख़ुशबू,फैली हरदिशा में जैसे।।
देशप्रेम का ज़ज्बा”प्रीतम”दिल से कभी न छूटे।
रहे आबाद ये हमेशा,पतंग से बंधी हो डोर जैसे।।
राधेश्याम बंगालिया “प्रीतम”
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