??◆एक रंग है ख़ून का◆??
कुछ लोग हैं जो अहंकार लेकर आए हैं।
हम तो अपने दिल में प्यार लेकर आए हैं।।
एक रंग है ख़ून का,एक मानव जाति है।
फिर भी भेदभाव की दीवार लेकर आए हैं।।
धन की अमीरी छोड़ मन की अमीरी दिखा।
दिल में हम बंधु यही पुकार लेकर आए हैं।।
कौन स्थायी जग में,है चार दिन का मेला।
हँसी-खुशी से जीएं,ये विचार लेकर आए हैं।।
गुमान रावण का न रहा,दंभ कंश का टूटा।
आप कैसा घमंड का व्यापार लेकर आएं हैं।।
इंसान इंसान से न जले मिले दिल से मिले।
प्रेम कृष्ण-सुदामा-सा हम यार लेकर आए हैं।।
चार दिन की है ये चाँदनी फिर अँधेरी रात।
दिल में अधूरा मुलाक़ाते-सार लेकर आए हैं।।
वृक्ष फल सूरत देखकर नहीं देता सीख ज़रा।
इंसान क्यों घृणा का ये संसार लेकर आए हैं।।
प्रीतम प्यार का दीप जला नफ़रते-तम न रहे।
तेरी मोहब्बत में..यही एतबार लेकर आए हैं।।
राधेयश्याय बंगालिया
प्रीतम
वफा की राह में वफा से बढकर वफा देंगे।
अ दोस्त जरा एतबार मेरी वफा पर करना।।
प्यार दो दिलों में हो तो अफसाना बनता है।
प्यार कभी तुम भूलकर एकतरफा न करना।।
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आर एस बी
प्रीतम