?? छूकर तेरी यादों को??
इस तरह से अपने ग़म को छिपा लेते हैं हम।
दिल तेरा रखने को यार मुस्क़रा लेते हैं हम।।
तुझे हँसता हुआ देखें हरपल यही है तमन्ना।
तू जहाँ रखे क़दम वहीं जान बिछा देते हैं हम।।
तू कहे जो चाँद-सितारे भी तोड़ लाएँ हमदम।
तेरी हसरतों को खुद से ज़्यादा वफ़ा देते हैं हम।।
तुम हो क़रीब दिल के कितना कैसे बताएं।
गिरे माथे से पसीना वहीं ख़ून बहा देते हैं हम।।
यादों के सागर में प्यार के मोती मिलते हैं।
छूकर तेरी यादोंं को दिल में बसा लेते हैं हम।।
आँखों में रहे सदा तेरे प्यार का मंज़र सनम।
ये सोचकर इंतज़ार में पलकें बिछा देते हैं हम।।
झुकने से रिश्ता बच जाए तो अच्छा ही है।
इस फलसफ़े पर दिल से सिर झुका देते हैं हम।।
प्यार सच्चा ज़िन्दगी में एक बार मिले सुना है।
इस बात को दिलसे हरबार लगा लेते हैं हम।।
“प्रीतम”तेरा दीदार ख़ुदा से कम नहीं हमारे लिए।
इन आँखों में हरपल ख़्वाब तेरा बसा लेते हैं हम।
राधेयश्याम बंगालिया “प्रीतम”कृत
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