” —————————————– खुशियां सभी टिकी हैं ” !!
घूँघट में है छिपी हया तो , पलकें झुकी झुकी हैं !
पल पल दिल बैचेन धड़कता , साँसें यों रुकी हैं !!
गालों पर बिखरी गुलाल हैं , अधरों पर अगवानी !
रोम रोम में सिहरन जागी , अँखियाँ मुंदी मुंदी हैं !!
खिले कंवल हैं मची खलबली , ज्वार उठा यौवन का !
तन मन बेकाबू सा लगता , नज़रें द्वार टिकी हैं !!
नख शिख तक श्रृंगार किया है , दिल पर राज करेगें !
आज तुम्हारी आँखों में भी , चाहत वही दिखी है !!
सपने हैं परवान चढ़े अब , होगें सच लगता है !
समय की निगरानी बढ़ती है , हर पल लुकालुकी है !!
आज आवरण हटना ही है , इन्तज़ार है बाकी !
रात कटी है आधी ऊपर , हिम्मत नहीं डिगी है !!
लगे समर्पण का दिन जानो , अपना शेष रहा क्या !
तेरी हर मुस्कान पे सचमुच , खुशियां सभी टिकी हैं !!
बृज व्यास