Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Mar 2017 · 2 min read

खुली बटनें !

पिताजी आपकी बटन खुली है ! बंद कर लीजिए ना ! तभी कड़कदार आवाज में उन्होंने कहा कि “चुप रहो ! बच्चे हो !” यह सुन ! वह शांत तो हो गया था , पर उसे अपने टीचर की बात याद आ रही थी ; जिसने उसे पूरे आधे घंटे मुर्गा बना के रखा था ! चूॅकि उसकी थर्ड बटन जो टूट गयी थी और वह माॅ से कहने के बावजूद, अनुपलब्धता के कारण पनिशमेंट खा गया था , वह भी अपने साथी व प्रिय संगतिनियों के सामने !
आज लगभग ढेड़ सौ किमी की यात्रा तय कर, इसी बच्चे “रवि” की एक बेहद अहम पद पर ताजपोशी थी और उसमें आने-वाले आगंतुकों की भीड़ में यह इक नन्हा सा बच्चा भी आया था और संयोग से “रवि” के उसे गले लगाते ही वह बोल बैठा था कि ” अंकल ! आप अब सक्षम तो हो गये हैं ना ! तो क्या ? मैं कुछ बोलूॅ ? ”
यह सुन “रवि” ने बालसुलभ स्वभाव की बात रख “हाॅ ” करी ही थी ! कि उसने अपने ही पिताजी के , “अंग-वस्त्रों” की ओर मूक इशारा भर ही किया था ! लेकिन “रवि” कुछ समझ नहीं पाया ! तो उस बच्चे ने पुनः कहा बटन देखिए ! कितनी खुली हैं ? तो रवि ने ध्यान दिया ! तो पाॅच में सिर्फ एक ही बंद थी !
और कुछ सफेद व कुछेक सुनहरी जंजीर जो कि जंजीर नहीं ; बल्कि जंजीरा बन उनके गले से लटक रहीं थीं ! वह भी उसके अभिवादन के दरम्यान ही ; बटनों को ऑखें दिखाती बाहर जरूर आ गयी थीं ; शायद खुद को अतिउत्तम दिखाने को बेहद आतुर थीं !
रवि ! जो कि अपनी सभी बटने बंद किये ; महज अपनी ताजपोशी में मशगूल था ! उसे यह सुन ! अपना बचपना याद आ गया ! और उसने उस बच्चे से धीरे से कहा कि “मैं भी महज दाॅत पीसता रह गया हूॅ और ये इस स्थिति में आने तक बेहद पिस कर घिस चुके हैं, आज की मेरी इन दिखावा भरी मुस्कराहटों के पीछे !”
पर अब देखना ! उस गुरू जी की कसम ! कि ये मेहनत से लगायी बटनें कभी खुली नहीं रहेंगी ।
तभी उसके पिताजी ने आवाज दी कि “बेटा ! चलो ढेड़ सौ किमी दूर अभी जाना है !”
यह सुन वह “रवि” की गोद से उछल जा गिरा था ; अपने पिताजी की उन्हीं खुली बटनों के बीच ! जहाँ उसका बचपन और भविष्य समाया था । लेकिन वह नन्हा सा बच्चा ! बहुत कुछ कह गया था “रवि” से ! वह भी उसे बचपन की याद दिलाते हुए !!!

Language: Hindi
485 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जिंदगी भर हमारा साथ रहे जरूरी तो नहीं,
जिंदगी भर हमारा साथ रहे जरूरी तो नहीं,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
चलो कल चाय पर मुलाक़ात कर लेंगे,
चलो कल चाय पर मुलाक़ात कर लेंगे,
गुप्तरत्न
◆व्यक्तित्व◆
◆व्यक्तित्व◆
*Author प्रणय प्रभात*
चुनिंदा अश'आर
चुनिंदा अश'आर
Dr fauzia Naseem shad
तुम इश्क लिखना,
तुम इश्क लिखना,
Adarsh Awasthi
एक कहानी है, जो अधूरी है
एक कहानी है, जो अधूरी है
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
हमारे अच्छे व्यवहार से अक्सर घृणा कर कोसते हैं , गंदगी करते
हमारे अच्छे व्यवहार से अक्सर घृणा कर कोसते हैं , गंदगी करते
Raju Gajbhiye
लघुकथा - एक रुपया
लघुकथा - एक रुपया
अशोक कुमार ढोरिया
फूलन देवी
फूलन देवी
Shekhar Chandra Mitra
रखिए गीला तौलिया, मुखमंडल के पास (कुंडलिया)
रखिए गीला तौलिया, मुखमंडल के पास (कुंडलिया)
Ravi Prakash
सीख लिया मैनै
सीख लिया मैनै
Seema gupta,Alwar
आफत की बारिश
आफत की बारिश
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
मन को मना लेना ही सही है
मन को मना लेना ही सही है
शेखर सिंह
कहा किसी ने
कहा किसी ने
Surinder blackpen
एक समय वो था
एक समय वो था
Dr.Rashmi Mishra
तेरे दरबार आया हूँ
तेरे दरबार आया हूँ
Basant Bhagawan Roy
क्यों हिंदू राष्ट्र
क्यों हिंदू राष्ट्र
Sanjay ' शून्य'
उस दिन पर लानत भेजता  हूं,
उस दिन पर लानत भेजता हूं,
Vishal babu (vishu)
मौन मुसाफ़िर उड़ चला,
मौन मुसाफ़िर उड़ चला,
sushil sarna
ग़ज़ल/नज़्म - प्यार के ख्वाबों को दिल में सजा लूँ तो क्या हो
ग़ज़ल/नज़्म - प्यार के ख्वाबों को दिल में सजा लूँ तो क्या हो
अनिल कुमार
*** मन बावरा है....! ***
*** मन बावरा है....! ***
VEDANTA PATEL
टमाटर का जलवा ( हास्य -रचना )
टमाटर का जलवा ( हास्य -रचना )
Dr. Harvinder Singh Bakshi
देख रहा था पीछे मुड़कर
देख रहा था पीछे मुड़कर
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
बताओगे कैसे, जताओगे कैसे
बताओगे कैसे, जताओगे कैसे
Shweta Soni
संस्कारों और वीरों की धरा...!!!!
संस्कारों और वीरों की धरा...!!!!
Jyoti Khari
पापा
पापा
Kanchan Khanna
A Little Pep Talk
A Little Pep Talk
Ahtesham Ahmad
💐प्रेम कौतुक-249💐
💐प्रेम कौतुक-249💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
आपस की दूरी
आपस की दूरी
Paras Nath Jha
असर
असर
Shyam Sundar Subramanian
Loading...