Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Sep 2016 · 1 min read

खुद को चोट लगाये कौन —— गज़ल

खुद को चोट लगाये कौन
पत्थर से टकराये कौन

दिल ये नित नित मांगे और
इस दिल को समझाये कौन

सब अपनी दुनिया मे मस्त
इक दूजे के जाये कौन

मार गयी मंहगाई आज
रोटी दाल खिलाये कौन

रंग बदलते रिश्तों को
शीशा रोज दिखाये कौन

ढोंगी साधू संतों से
अपना धर्म बचाये कौन

हक अपने सब मांगें आज
निर्मल फर्ज निभाये कौन

1 Like · 5 Comments · 710 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
चुपके से चले गये तुम
चुपके से चले गये तुम
Surinder blackpen
हर एक रास्ते की तकल्लुफ कौन देता है..........
हर एक रास्ते की तकल्लुफ कौन देता है..........
कवि दीपक बवेजा
मनांतर🙏
मनांतर🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
रामभक्त संकटमोचक जय हनुमान जय हनुमान
रामभक्त संकटमोचक जय हनुमान जय हनुमान
gurudeenverma198
💐अज्ञात के प्रति-149💐
💐अज्ञात के प्रति-149💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
10. जिंदगी से इश्क कर
10. जिंदगी से इश्क कर
Rajeev Dutta
कविता के हर शब्द का, होता है कुछ सार
कविता के हर शब्द का, होता है कुछ सार
Dr Archana Gupta
आसा.....नहीं जीना गमों के साथ अकेले में
आसा.....नहीं जीना गमों के साथ अकेले में
Deepak Baweja
हार स्वीकार कर
हार स्वीकार कर
रोहताश वर्मा 'मुसाफिर'
मेरे देश की मिट्टी
मेरे देश की मिट्टी
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
आसान होते संवाद मेरे,
आसान होते संवाद मेरे,
Swara Kumari arya
*यहाँ पर आजकल होती हैं ,बस बाजार की बातें ( हिंदी गजल/गीतिक
*यहाँ पर आजकल होती हैं ,बस बाजार की बातें ( हिंदी गजल/गीतिक
Ravi Prakash
चंद सिक्के उम्मीदों के डाल गुल्लक में
चंद सिक्के उम्मीदों के डाल गुल्लक में
सिद्धार्थ गोरखपुरी
"याद रहे"
Dr. Kishan tandon kranti
**बात बनते बनते बिगड़ गई**
**बात बनते बनते बिगड़ गई**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*जहां जिसका दाना पानी लिखा रहता है,समय उसे वहां पे बुलाता है
*जहां जिसका दाना पानी लिखा रहता है,समय उसे वहां पे बुलाता है
Shashi kala vyas
पुनर्जन्माचे सत्य
पुनर्जन्माचे सत्य
Shyam Sundar Subramanian
लौट आयी स्वीटी
लौट आयी स्वीटी
Kanchan Khanna
ये मेरा स्वयं का विवेक है
ये मेरा स्वयं का विवेक है
शेखर सिंह
रिश्तों का बदलता स्वरूप
रिश्तों का बदलता स्वरूप
पूर्वार्थ
गुमान किस बात का
गुमान किस बात का
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
सोच कर हमने
सोच कर हमने
Dr fauzia Naseem shad
दोहा ग़ज़ल (गीतिका)
दोहा ग़ज़ल (गीतिका)
Subhash Singhai
मेरी चुनरी में लागा दाग, कन्हैया
मेरी चुनरी में लागा दाग, कन्हैया
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
झुकाव कर के देखो ।
झुकाव कर के देखो ।
Buddha Prakash
लोग बंदर
लोग बंदर
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
#सन्डे_इज_फण्डे
#सन्डे_इज_फण्डे
*Author प्रणय प्रभात*
मैने प्रेम,मौहब्बत,नफरत और अदावत की ग़ज़ल लिखी, कुछ आशार लिखे
मैने प्रेम,मौहब्बत,नफरत और अदावत की ग़ज़ल लिखी, कुछ आशार लिखे
Bodhisatva kastooriya
2943.*पूर्णिका*
2943.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हमे भी इश्क हुआ
हमे भी इश्क हुआ
The_dk_poetry
Loading...