Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Oct 2016 · 2 min read

खुदा की अनुपम कृति स्त्री

खुदा ने संसार में आकर्षण – विकर्षण का जो जाल रचा उसके पीछे प्रभु की इच्छा जीवन को सरल – सरस एवं जीने योग्य बना देना है यदि जीवन के इतने राग -रंग न होते तो जीवन कितना दूभर होता । बोझिल हो जाता एवं साठ -सत्तर वर्ष तक जीवन जीने की उत्कंठा सिमट कर शून्य पर आ जाती ।

रिश्ता कोई भी हो जीवन में मधुरता को घोल उसे समरस एवं जीने योग्य बनाता है रिश्तों के बीच पनपता प्यार न हो , तो अपनापन विकसित न हो, एक -दूजे के लिए कुछ कर गुजरने की , अपना त्याग देने की , बराबर कदम से कदम मिलाकर चलने की चाह न होती । इसी क्रम मे सृष्टा ने दुनियाँ को रचा और इस दुनियाँ में भी सबसे सुंदर सृष्टि जो की है वह “स्त्री ” ।
प्यार , कर्तव्य , निर्झरिणी सी सौम्य , सरलता की मूर्ति जिसमें मान मर्यादाओं को निभाते हुए कुछ करने की ललक है । नारी के बहुत से रूप है पुत्री ,बहिन , माँ , बुआ , चाची इत्यादि । नारी बंधन में बँधी भी है स्वतंत्र भी है पुरूष से कन्धे से कंधा मिला कर चलने वाली नारी हर क्षेत्र मे अपना परचम लहरा रही है ।
कभी नारी दुहिता के रुप में माता- पिता का आनन्द बढ़ाने वाली , तो भगिनी के रूप में भाई को आत्मसम्बल देने वाली , तो कहीं पति की भार्या बन कर जीवन संग्राम में बराबर से मोर्चा लेने वाली है शक्ति स्वरूपा नारी अहं की सीमा का अतिक्रमण होने पर काली भी बन जाती है ।
लेकिन समाज में नारी के प्रति अपराधों का ग्राफ जिस तीव्रता से बढ़ा है उससे नारी के प्रति पुरुष समाज की कुदृष्टि का पता लगता है । औरत से पैदा मर्द शायद स्त्री को प्रताड़ित करने में अपनी बहादुरी समझता है । शायद किसी दिन का अखबार स्त्री रेप , दहेज , स्त्री को मार दिये जाने की खवर से अछूते हो । कुकृत्य करने के बाद अपराधी कितनी सफाई से बच जाता है सराहनीय है ।

डॉ मधु त्रिवेदी

Language: Hindi
Tag: लेख
67 Likes · 504 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from DR.MDHU TRIVEDI
View all
You may also like:
चर्बी लगे कारतूसों के कारण नहीं हुई 1857 की क्रान्ति
चर्बी लगे कारतूसों के कारण नहीं हुई 1857 की क्रान्ति
कवि रमेशराज
सरकार बिक गई
सरकार बिक गई
साहित्य गौरव
★क़त्ल ★
★क़त्ल ★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
मैं सोचता हूँ आखिर कौन हूॅ॑ मैं
मैं सोचता हूँ आखिर कौन हूॅ॑ मैं
VINOD CHAUHAN
पश्चाताप
पश्चाताप
DR ARUN KUMAR SHASTRI
होठों को रख कर मौन
होठों को रख कर मौन
हिमांशु Kulshrestha
ख़ुद के होते हुए भी
ख़ुद के होते हुए भी
Dr fauzia Naseem shad
हरियाणा दिवस की बधाई
हरियाणा दिवस की बधाई
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
ज़ख़्म गहरा है सब्र से काम लेना है,
ज़ख़्म गहरा है सब्र से काम लेना है,
Phool gufran
मेरी हैसियत
मेरी हैसियत
आर एस आघात
बचपन
बचपन
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
!! चमन का सिपाही !!
!! चमन का सिपाही !!
Chunnu Lal Gupta
💐Prodigy Love-21💐
💐Prodigy Love-21💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
“गुरुर मत करो”
“गुरुर मत करो”
Virendra kumar
फर्क नही पड़ता है
फर्क नही पड़ता है
ruby kumari
2651.पूर्णिका
2651.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
जी चाहता है रूठ जाऊँ मैं खुद से..
जी चाहता है रूठ जाऊँ मैं खुद से..
शोभा कुमारी
स्त्री का प्रेम ना किसी का गुलाम है और ना रहेगा
स्त्री का प्रेम ना किसी का गुलाम है और ना रहेगा
प्रेमदास वसु सुरेखा
मैं कवि हूं
मैं कवि हूं
Shyam Sundar Subramanian
सह जाऊँ हर एक परिस्थिति मैं,
सह जाऊँ हर एक परिस्थिति मैं,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
■ अप्रासंगिक विचार
■ अप्रासंगिक विचार
*Author प्रणय प्रभात*
दोस्ती
दोस्ती
Mukesh Kumar Sonkar
SCHOOL..
SCHOOL..
Shubham Pandey (S P)
"मयकश बनके"
Dr. Kishan tandon kranti
एक मां ने परिवार बनाया
एक मां ने परिवार बनाया
Harminder Kaur
मुश्किल में जो देख किसी को, बनता उसकी ढाल।
मुश्किल में जो देख किसी को, बनता उसकी ढाल।
डॉ.सीमा अग्रवाल
........,!
........,!
शेखर सिंह
अपनों को नहीं जब हमदर्दी
अपनों को नहीं जब हमदर्दी
gurudeenverma198
जन्मदिन की शुभकामना
जन्मदिन की शुभकामना
Satish Srijan
बुद्ध जी की करुणा हुई तो
बुद्ध जी की करुणा हुई तो
Buddha Prakash
Loading...